उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र: चमकदार सरकारी योजनाओं के बीच क्षेत्र के दागदार नेता!
भाजपा से नरेंद्र शिवाजी पटेल प्रत्याशी घोषित: जाने क्या हैं यहां भाजपा के सामने चुनौतियां?
—याज्ञवल्क्य
(बरेली कार्यालय)
बरेली—उदयपुरा (रायसेन)। जैसी की सर्वाधिक संभावना थी, रायसेन जिले के उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र से नरेंद्र शिवाजी पटेल को भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से अभी केवल यहीं से प्रत्याशी घोषित हुआ है। चमकदार सरकारी योजनाओं के बीच क्षेत्र के दागदार नेताओं के साथ कांग्रेस से इस क्षेत्र को वापस भाजपा के पक्ष में लाने का भरोसा पार्टी ने नरेंद्र शिवाजी पटेल पटेल पर जताया है।
उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक रामकिशन पटेल सहित कई नेता अपनी दावेदारी जता रहे थे। नरेंद्र शिवाजी पटेल प्रदेश भाजपा में मीडिया को देख रहे थे और बीते दो—तीन साल से क्षेत्र की मैदानी राजनीति में सक्रिय थे। एक साल के भीतर वे कई विधानसभा स्तर के कार्यक्रम करके अप्रत्यक्ष रूप से अपनी दावेदारी की घोषणा कर चुके थे। संगठन और प्रबंधन में माहिर जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता शिवाजी पटेल के राजनीति में उत्तराधिकारी नरेंद्र, प्रदेश के प्रबुद्ध राजनेताओं में गिने जाते हैं। प्रदेश के साथ ही केंद्रीय राजनीति में प्रभावी कई नेताओं से उनके गहरे निजी संबंध रहे हैं। उनका टिकिट पक्का माना जा रहा था, लेकिन राजनीति में कुछ भी अंतिम क्षणों में घटित होना भी कोई नई बात नहीं होती। सोमवार की रात भाजपा द्वारा मध्यप्रदेश में अपने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी करने के साथ ही अनिश्चितताओं पर विराम लग गया।
क्या हैं भाजपा के लिए अपने ही दल में चुनौतियां?
भाजपा उदयपुरा विधानसभा से प्रत्याशी घोषित करके कांग्रेस से आगे हो गई है। उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र के समीकरण भी उलझे हुए हैं। एक ओर जहां किरार समाज के ही विधानसभा टिकिट के दावेदार नेताओं को मनाने की चुनौती है, वहीं दूसरी ओर करणी सेना के प्रदेश सरकार से विरोध के चलते भाजपा के परंपरागत मतदाता राजपूत भी कुछ दूर ही दिख रहे हैं। अन्य समाजों से विधानसभा टिकिट के दावेदार भी अपनी—अपनी समाज में कुछ प्रभाव तो रखते ही हैं। इन सबको भाजपा के पक्ष में मैदान में उतारना भाजपा की आंतरिक चुनौतियां हैं।
क्या है भाजपा की जनसामान्य में छवि?
‘शुभ चौपाल’ ने मैदानी स्तर पर आज मंगलवार को वर्तमान स्थिति में एक बार फिर जनसामान्य की भावनाएं परखने का प्रयास किया। केंद्र और प्रदेश सरकार की लोक हितैषी योजनाओं से इस क्षेत्र के भी लाखों परिवार लाभांवित हो रहे हैं। इनकी सद्भावनाएं भाजपा के साथ दिखाई देती हैं, लेकिन स्थानीय बात करने पर स्थिति उलट दिखाई देती है। इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए भी लोग सेवाशुल्क का भुगतान करते रहे हैं। गांव—गांव में फैले शराब और रेत के अवैध कारोबार ने भाजपा के क्षेत्रीय नेताओं के दामन को दागदार कर रखा है। पंच से लेकर पार्षद तक की छवि अवैध कमाई से धूमिल है। फोरलेन से लेकर गांवों तक की सडकें भ्रष्टाचार को स्वयं बोल रही हैं। सरकारी स्कूलों—अस्पतालों की दुर्दशा इनके होने पर सवाल उठा रही है। समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी असीमित कमाई का बडे स्रोत के रूप में स्थापित हो चुकी है। सरकारी विभाग और स्थानीय संस्थाओं में बिना लेनदेन के किसी काम की कल्पना नहीं की जा सकती। भ्रष्टाचार और गडबडियों के ज्यादातर तार क्षेत्र के भाजपा नेताओं से जुडते रहे हैं। ऐसे में जनता के सवालों का सामना करना और उसे संतुष्ट करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।