फागुन की रातें
अधरों पर प्रतिबंध देख आंखों ने की बातें।
महक- महक उठती हैं पागल फागुन की रातें।।
एकाकीपन मन का टूटा
महक उठी अमराई।
बहुत दिनों के बाद समय ने
ली मादक अंगड़ाई।
उस सूनी मुंडेर पर कोई काग बोलता होगा।
करती हैं संकेत फागुनी गीतों की…
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