जीभर जीना हमको भाया
सब कुछ खोया, सब कुछ पाया।
कभी है अपना, कभी पराया।
असमंजस में उलझ न पाए
जीभर जीना हमको भाया।
तपी धूप तो इसमें तपकर
तपने का आनंद उठाया।
साथ मेघ के उमडी नदिया
लहरों के संग खेल रचाया।
चलीं बहुत ही सर्द हवाएं
हाड कंपे पर हम न कांपे।…
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