मप्र के पूर्व मंत्री राघवजी के खिलाफ अप्राकृतिक यौन शोषण की एफआईआर निरस्त

MP High Court: इस चर्चित मामले में सार्वजनिक जीवन चौपट हो गया था मप्र के वयोवृद्ध वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री राघवजी का: मप्र उच्चन्यायालय ने कहा— छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर एफआईआर

जबलपुर। मध्‍यप्रदेश उच्चन्यायालय (MP High Court) ने मप्र के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को अप्राकृतिक यौन शोषण के मामले में राहत दी है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने राघवजी के विरुद्ध दर्ज एफआइआर (FIR) निरस्त कर दी है। राघवजी के एक पूर्व कर्मचारी ने भोपाल के हवीबगंज थाने में उनके विरुद्ध धारा 377, 506 तथा 34 के अंतर्गत सात जुलाई 2013 को एफआईआर दर्ज कराई थी। इस चर्चित मामले में मप्र के वयोवृद्ध वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री राघवजी का सार्वजनिक जीवन चौपट हो गया था।

राघवजी ने एफआईआर निरस्त करने हाइ कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया था कि अनावेदक ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह उनके गृह जिले विदिशा का रहने वाला है। साल 2010 में वह नौकरी के लिए भोपाल आया था। वह वित्त मंत्री राघवजी के सरकारी बंगले में रहता था।

उच्चन्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मध्‍यप्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण पोर्ट फोलियो रखने वाले व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर एफआईआर दर्ज करवाई है। आपराधिक कार्यवाही में साफतौर पर दुर्भावना झलकती है।

बनाया था वीडियो
शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि उसने एक अन्य पीड़ित की मदद से वित्तमंत्री का छिपकर वीडियो बनाया था। सहमति के साथ एकांत में अप्राकृतिक यौन करने का वीडियो साजिश के तहत बनाया गया था। याचिकाकर्ता का सरकारी निवास मई 2013 में शिकायतकर्ता ने छोड़ दिया था। इसके लगभग तीन माह बाद उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के इशारे तथा आपसी रंजिश के कारण शिकायतकर्ता ने एफआईआर दर्ज कराई है।