मध्यप्रदेश: भैरव बाबा की नगरी उज्जैन से शराबियों के शोषण के खिलाफ मुखर हुई आवाज; गृह मंत्री को बताया कि पूरी बोतल पीकर भी नशा नहीं हुआ

उज्जैन। मध्यप्रदेश में शराब कारोबार को सरकारी संरक्षण मिला हुआ है, यह बात ज्यादातर लोगों को मालूम है। सरकार की आबकारी नीति शराबखोरी को बढावा दे रही है। यह बात कई बार भाजपा के दिग्गज नेता भी कहते रहे हैं। लेकिन, सरकार केवल शराब ठेकेदारों को संरक्षण देती है। शराब पीने वाले भी उपभोक्ता हैं, लेकिन उनके हितों के संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। शिकायतें करने पर अधिकारी भी ठेकेदारों की बजाते हैं।

यह दर्द है भैरव बाबा की नगरी उज्जैन के शराबियों का, जो शराब की गुणवत्ता और निर्धारित कीमत से ज्यादा राशि लिए जाने को लेकर लगातार शिकायतें कर रहे हैं। अब यह मामला प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा तक पहुंच गया है। शराब पीने के एक शौकीन ने गृहमंत्री को लिखित रूप में बताया है कि पूरी बोतल पीने के बाद भी उसे नशा नहीं हुआ। इनका कहना है कि ठेकेदार शराब में पानी मिलाकर बेच रहा है। इससे उसका आर्थिक नुकसान हो रहा है। शिकायत में कहा गया है कि शराब कंपनी उपभोक्ता के साथ छल, कपट और धोखाधड़ी कर रही है।

शिकायत पर मिली धमकी
उज्जैन में बहादुरगंज आर्य समाज मार्ग पर रहने वाले लोकेंद्र सोठिया 20 साल से शराब पी रहे हैं। उन्होंने क्षीरसागर की शराब दुकान से चार क्वॉर्टर देशी शराब खरीदी। दो क्वार्टर पीने के बाद पता चला कि शराब में पानी मिला था। लोकेंद्र ने बताया कि पूरी बोतल पीने के बाद भी जब शराब चढ़ी नहीं तो लगा कि इसमें मिलावट है। उन्होने दुकानदार से शिकायत की तो उसने धमकी दी कि तुमसे जो बने वो कर लेना।

लैब में हो जांच
लोकेंद्र ने पूरा विवरण देते हुए शराब ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवेदन दिया है। इसमें लिखा है कि ठेकेदार पर कार्रवाई की जाए ताकि कोई दूसरा धोखाधड़ी का शिकार नहीं हो। लोकेंद्र ने कहा कि सभी जगह शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए उसने दो क़्वार्टर पैक्ड ही रखे हैं। उनका कहना है कि इनकी लैब में जांच हो। लोकेंद्र अपनी इस लडाई को आगे बढाने का प्रयास कर रहे हैं। उज्जैन और प्रदेश के अन्य जिलों से भी शराब उपभोक्ताओं के शोषण के खिलाफ आवाज उठने लगी है।

रायसेन जिले में ठेकेदारों का राज
इधर, रायसेन जिले में भी ठेकेदारों की मनमानी के खिलाफ लोग मुखर होने लगे हैं। लोगों का सीधा आरोप है कि आबकारी विभाग, पुलिस और प्रशासन पूरे जिले में शराब ठेकेदारों के वेतनभोगी कर्मचारियों की तरह काम कर रहे हैं।