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# Sahitya

जमीर

ऐसे कब जागता है किसी इंसान का जमीर। झकझोरना पडता है उसके ईमान को, मारना पडते हैं छींटे धर्म के, चीत्कार करना होता है सत्य का कानों में, अगर ना जागे फिर भी इंसान, तव दिखाना पडता है बंद आंखों में ही, किसी अपनों पर हुआ अत्याचार,…
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