Browsing Tag

तुम्हारा अभिनंदन

गणतंत्र, तुम्हारा अभिनंदन

तंत्रों की बड़ी विकट जकड़न बने विधान यहां उलझन सुफलों पर नागों का डेरा आहत होता जन साधारण पांवों में बेडी¸, हाथ बंधे गणतंत्र, तुम्हारा अभिनंदन। ---------------- गिरना, उठने की शर्त बनी झुकना, बढ़ने की रीत बनी सच्चाई का जीना दुष्कर…
Read More...