सरकारें आत्मरति में लीन हैं, अधिकारी कागजों का पेट भरने में लगे है, ऐसे कठिनतम समय में— गतिस्त्वं,…
—याज्ञवल्क्य—
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एक साल बीत चुका है, जब से देश मानवता के क्रूर शत्रु कोरोना विषाणु का सामना कर रहा है। तब से स्थितियां बहुत अधिक परिवर्तित हो चुकी हैं। देश के स्वनियोजित यानि हर दिन कमाकर खाने वाले लोग सरकारों के…
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