ऐसे बने ‘चंद्र’ से ‘खयाल’
—स्वर्णा तिवारी—
सोहागपुर। बात जब उर्दू और संस्कृत की हो तो आमतौर पर हमारे जेहन में वर्ग विशेष के नाम कौंधते हैं, लेकिन सचाई यह नहीं है। भाषा निरपेक्ष होती है और इसमें डूबने वाले मशहूर हो जाते हैं। माखन नगर बाबई और सोहागपुर जैसे छोटे…
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