कोरोना काल का पहला सैटलाइट लॉन्‍च, इसरो चीफ ने कहा- इस खास मिशन की सफलता से दीवाली का आनंद बढ़ा

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। इंडियन स्‍पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने शनिवार दोपहर अपना पहला सैटेलाइट लॉन्‍च कर दिया। यह लॉन्‍च दोपहर करीब 3:12 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से हुआ। इस लॉन्‍च में PSLV C49 रॉकेट अपने साथ EOS01 के रूप में प्राइमरी सैटलाइट ओर 9 दूसरे कमर्शियल सैटेलाइट ले गया।

इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि यह मिशन इसरो के लिए बेहद खास है। इसे वर्क फ्रॉम होम से नहीं किया जा सकता था। इसके लिए इंजिनियरों और लैब टेक्नीशन ने साथ मिलकर काम किया। डॉ के सिवन ने कहा कि कोरोना काल में यह हमारा पहला लॉन्च इस मुश्किल वक़्त में हम सावधानी बरतते हुए और सफलताएं हासिल करेंगे। इस सफलता से दीवाली का आनंद बढ़ा।

बताया गया कि पहले इसे लॉन्‍च करने का समय दोपहर 3 बजकर 2 मिनट रखा गया था लेकिन ऐन मौके पर इसरो ने समय में बदलाव करते हुए इसे 10 मिनट बढ़ा दिया। इस लॉन्‍च के साथ इसरो 328 विदेशी सैटलाइट अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब रहा। इसके साथ जाने वाले 9 कमर्शियल सैटेलाइट विदेशी हैं। यह इसरो का 51वां मिशन है। कोरोना शुरू होने के बाद यह इसरो का पहला स्‍पेस मिशन है।

EOS01 की ये हैं खूबियां
इस लॉन्‍च में प्राइमरी सैटलाइट EOS01 एक रेडार इमेज‍िंग सैटेलाइट (RISAT) है। यह अडवांस्‍ड रिसैट है जिसका सिंथैटिक अपरचर रेडार बादलों के पार भी देख सकेगा। दिन हो या रात या कोई भी मौसम हो यह हर समय कारगर साबित होगा। इससे मिलिटरी सर्विलांस में मदद तो मिलेगी ही साथ ही खेती, वानिकी, मिट्टी की नमी मापने, भूगर्भ शास्‍त्र और तटों की निगरानी में भी यह सहायक साबित होगा।

यह कहा इसरो प्रमुख ने
इसरो चीफ के सिवन ने कहा कि यह मिशन इसरो के लिए बेहद खास और असामान्य है। उन्होंने कहा कि स्पेस के काम ‘वर्क फ्रॉम होम’ के जरिए नहीं किए जा सकते हैं। हर इंजिनियर को लैब में रहना पड़ता है। जब इस तरह के मिशन के बारे में बातचीत की जाती है तो हर टेक्नीशन और कर्मचारी को साथ काम करना पड़ता है।

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