मध्यप्रदेश— उच्च न्यायालय का आदेश—आरोपित, फरियादी की फोटो प्रकाशित नहीं किए जाएं

ग्वालियर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ की एकल पीठ ने आरोपित व फरियादी की फोटो अखबार व डिजिटल प्लेटफॉर्म (इंटरनेट, इलेक्ट्रानिक मीडिया) पर प्रकाशित करने को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसी भी आरोपित या फरियादी की फोटो प्रकाशित नहीं कराए जाएंगे। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को इसके निर्देश जारी करें। फोटो प्रकाशित होने पर पुलिस अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम भी लागू करें।

शहर के बहोड़ापुर थाना पुलिस ने लक्ष्मण तलैया निवासी अरुण शर्मा को 14 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया था। उसे पांच हजार रुपये का इनामी भी बता दिया था। यह मामला पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचा तो मामले की जांच हुई। जांच में बता चला कि पुलिस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही पुलिस ने अरुण शर्मा को मीडिया के सामने भी पेश कर दिया था। पुलिस को अपनी गलती का अहसास हुआ तो एसपी ने थाना प्रभारी दिनेश राजपूत को निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया था। कुछ दिन बीतने के बाद बहाल करके उन्हें थाने पर फिर तैनात कर दिया। इस पूरे मामले को लेकर अरुण शर्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। यहां से नोटिस आने के एसपी ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने की बात स्वीकार की। साथ ही अपने जवाब में लिखा कि इस मामले में थाना प्रभारी को निलंबित कर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दो नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए थे। उन्होंने अरुण शर्मा के फोटो इंटरनेट मीडिया व अखबारों में छपवाने की गलती भी मानी है। न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था।

नौ नवंबर को ग्वालियर एसपी को किया तलब
उच्च न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक ग्वालियर को नौ नवंबर को तलब किया है। एसपी को केस डायरी व दस्तावेज के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहना होगा। इसके अलावा कोर्ट ने बहोड़ापुर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश राजपूत, एसआइ सुजीता सिंह व आरक्षक आंचल शर्मा को अवमानना नोटिस जारी कर 20 नवंबर को तलब किया है। इन तीनों से पूछा है कि जब सिविल मामले में पुलिस हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है, इसके बाद भी पुलिस ने दुकान खाली कराने के आवेदन पर विचार कैसे किया।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.