चंडीगढ— नहीं मिले राष्ट्रपति आज दिल्ली में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का धरना
चंडीगढ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब के शिष्टमंडल को मुलाकात के लिए समय देने से मना कर दिया। इस पर कैप्टन ने एलान किया कि वे बुधवार को दिल्ली में राजघाट पर अपने सभी मंत्रियों और कांग्रेसी विधायकों के साथ धरना देंगे। वे पंजाब विधानसभा में केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ पारित कृषि संशोधन विधेयक को मंजूरी देने का आग्रह करने के लिए राष्ट्रपति से मिलना चाहते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सूबे में मालगाड़ियों की आवाजाही रोके जाने के कारण पैदा हुआ संकट गहराता जा रहा है। जीवीके कंपनी के पावर प्लांट ने एलान किया है कि उसने मंगलवार दोपहर तीन बजे से संचालन बंद कर दिया है, क्योंकि कोयला खत्म हो चुका है। कोयले की कमी से राज्य में सरकारी और अन्य निजी पावर प्लांट पहले ही बंद हैं। इसके साथ ही कृषि और सब्जियों की सप्लाई में भी काफी हद तक बाधा आई है। किसानों के मालगाड़ियां न रोकने के फैसले के बावजूद रेलवे की तरफ से इनका संचालन नहीं किया जा रहा। इससे सूबे में यूरिया और डीएपी और अन्य जरूरी वस्तुएं भी खत्म हो चुकी हैं। फसलों और सब्जियों की सप्लाई पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। ज्यादा नुकसान वाले फीडरों की बिजली सप्लाई काटी जा चुकी है। पंजाब के लोग अंधेरे में दिवाली मनाने की कगार पर हैं। उन्होंने राजघाट में सांकेतिक धरना देने का फैसला इसलिए लिया है ताकि केंद्र का ध्यान राज्य की नाजुक स्थिति की ओर दिलाया जा सके।
कैप्टन ने कहा कि मालगाड़ियों की आवाजाही रोकने से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में जरूरी चीजों की आपूर्ति की सप्लाई बाधित हो सकती है। अगर बर्फबारी से पहले सेना तक जरूरी सप्लाई न पहुंचाई गई तो हमारी सेनाओं को दुश्मन से मात खाने में देर नहीं लगेगी।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने तीन बार लिखा पत्र
पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय ने राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए तीन पत्र लिखे थे। इसके बावजूद राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले शिष्टमंडल से मुलाकात का समय नहीं दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने 21 अक्तूबर को राष्ट्रपति भवन को पत्र भेजकर बैठक का समय मांगा था। 29 अक्तूबर को फिर से ज्ञापन भेजा गया। इसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय को बीते दिन प्राप्त हुए अर्ध सरकारी पत्र में बैठक के लिए की गई विनती को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि प्रांतीय संशोधन बिल अभी राज्यपाल के पास विचार के लिए लंबित पड़े हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से बीते दिन भेजे गए एक अन्य पत्र में कहा गया कि मुख्यमंत्री और अन्य विधायकों को मौजूदा स्थिति राष्ट्रपति के ध्यान में लाने और मसलों के हल के लिए मिलने का समय दिया जाए। इस पर राष्ट्रपति कार्यालय ने जवाब में कहा कि पहले कारणों के संदर्भ में इस समय पर यह विनती स्वीकार नहीं की जा सकती।
इस स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक प्रांतीय संशोधन विधेयक का संबंध है, सांविधानिक उपबंधों के मुताबिक राज्यपाल की भूमिका विधेयक आगे राष्ट्रपति को भेजे जाने तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि अकेला यह मुद्दा नहीं जिस पर राष्ट्रपति के दखल की जरूरत है।