मध्यप्रदेश— आवश्यक व्यवस्थाओं के बीच चल रहा मतदान
भोपाल। मध्यप्रदेश के 19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है। इसके पहले सुबह 5.30 बजे से मॉकपोल हुआ। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मतदान का समय शाम छह बजे तक रहेगा। उपचुनाव में 63,67,751 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी मोहित बुंदस ने बताया कि कोरोना से सुरक्षित मतदान के लिए मतदान केंद्रों पर सभी व्यवस्थाएं पूरी की गई हैं।
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरुण कुमार तोमर ने बताया कि उपचुनाव में 3 नवंबर को कुल 9 हजार 361 केंद्रों पर वोटिंग होगी। मतगणना 10 नवंबर को विधानसभा क्षेत्र/जिला मुख्यालय पर होगी। उप निर्वाचन में कुल 355 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। मतदान के लिए 13 हजार 115 बैलेट यूनिट, 13 हजार 115 कंट्रोल यूनिट और 14 हजार 50 वीवीपैट हैं।
प्रदेश में यह पहला अवसर है जब इतनी अधिक सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने मतदान का समय इस बार एक घंटे का समय बढ़ाया गया है। अधिकारियों के अनुसार अंतिम एक घंटे में सामान्य मतदाताओं के अलावा कोरोना पॉजिटिव या असामान्य तापमान वाले मतदाताओं को मतदान का अलग से अवसर दिया जाएगा। निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिएसुरक्षा व्यवस्था के लिए कड़े किए गए हैं। इस चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
कोविड से बचाव की पूरी तैयारी
मतदाताओं में कोविड-19 का भ्रम दूर करने के लिए मतदान केंद्रों पर कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। मतदान केंद्र का आवश्यक सैनिटाइजेशन कराया गया है। मतदान कर्मियों को पीपीई किट प्रदान की गई है। यदि टेम्परेचर दो बार मापने पर भी ज्यादा होता है, तो निर्वाचक को कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत उस वोटर को आखिरी घंटे में वोट डालने दिया जाएगा।
मिलेगी वोटिंग की ताजा जानकारी
उपचुनाव में 19 जिलों की 28 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले मतदान के प्रतिशत की अपडेट जानकारी ‘Voter turnout’ पर मिलेगी। eci.gov.in/voter-turnout के जरिए भी वोटिंग प्रतिशत की जानकारी मिल सकेगी।
पिछले दो चुनाव में 23 मंत्री हार चुके
पिछले दो विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड देखें तो शिवराज सरकार के 23 मंत्रियों को जनता ने घर बैठा दिया था। वर्ष 2013 में 10 और 2018 में 13 मंत्री विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए। इस बार 3 नवंबर 2020 को होने वाले चुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। इसमें से 11 पर तो भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि यह उनके कहने पर ही पार्टी बदलकर भाजपा में आए हैं।
इन पर सबकी नजर
सिंधिया समर्थक भाजपा सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, बृजेंद्र सिंह यादव, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, ऐंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग पर सबकी नजर रहेगी। हालांकि, यह अपने बयानों को लेकर भी विवादों में रह चुके हैं।
वोटों का गणित साधने की कोशिश
कांग्रेस से भाजपा में गए 25 पूर्व विधायकों के सामने फिर से विधायक बनने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती खुद को मिले वोटों के अंतर को पाटना है, जो उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा उम्मीदवारों से अधिक मिले थे। इस मामले में सबसे कम चुनौती उन पूर्व विधायकों के सामने हैं, जो 2000 से कम मतों से जीते थे। इनमें मंत्री हरदीप सिंह डंग की जीत सबसे छोटी थी और वह 350 मतों से जीते थे। उसके बाद मांधाता के नारायण पटेल 1236 और नेपानगर की सुमित्रा देवी 1256 मतों से जीती थीं।
यह है गणित
विधानसभा की कुल सीट-230रिक्त- एक उपचुनाव- 28 विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा में मौजूदा दलीय स्थितिभाजपा- 107 सीटकांग्रेस- 87बसपा-2सपा-1निर्दलीय- 4- उपचुनाव के परिणाम आने के बाद बहुमत का निर्धारण 229 सीटों के आधार पर होगा। 115 विधायक जिसके साथ होंगे, उसका बहुमत होगा। भाजपा की मौजूदा सदस्य संख्या 107 है और उसे बहुमत के लिए आठ और विधायकों की जरूरत है।- कांग्रेस की मौजूदा सदस्य संख्या 87 के हिसाब से सभी 28 सीटें जीतने पर बहुमत का आंकड़ा हासिल होगा।
ऐतिहासिक उपचुनाव
यह प्रदेश में ऐतिहासिक उपचुनाव है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के समय ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का प्रमुख चेहरा थे। पार्टी ने 15 साल बाद मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी कर ली थी। इसके बाद सिंधिया की नाराजगी और 22 समर्थक विधायकों के साथ उनके भाजपा में शामिल होने से विधानसभा में सदस्यों के अंकगणित का जोड़-घटाव कांग्रेस के खिलाफ गया। भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई।
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