उत्तरप्रदेश— 9 साल की बच्ची के साथ छेड़खानी के आरोपी मस्जिद के हाफिज को जमानत देने से इनकार
इलाहाबाद। ‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अपराध की गंभीरता, आरोपों की प्रकृति और हो सकने वाली सजा की गंभीरता, आवेदक को जमानत पर रिहा करने के लिए कोई अच्छा आधार नहीं दिखता है।’ यह कहते हुए इलाहबाद उच्च न्यायालय ने एक मस्जिद के हाफिज को एक 9 साल की बच्ची के साथ छेड़खानी के मामले में जमानत देने से इनकार किया।
न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की खंडपीठ 2020 के केस क्राइम नंबर 0175 के अंतर्गत आईपीसी की धारा 354 और 9/10 POCSO अधिनियम के तहत पुलिस स्टेशन भूता, जिला बरेली की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जो आवेदक (मस्जिद के हाफिज) द्वारा जमानत पर रिहा होने के लिए दायर की गई थी। आवेदक के लिए पेश वकील ने यह दलील दी कि आवेदक निर्दोष है और उसे मामले में फंसाया गया है। वकील ने आगे कहा कि आवेदक एक युवा व्यक्ति है और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का उद्देश्य उसका करियर खराब करना है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और 25.6.2020 से वह जेल में बंद है। राज्य की ओर से पेश एजीए ने आवेदनकर्ता की जमानत अर्जी का विरोध किया और यह प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता के कैरियर को खराब करने के लिए कोई भी उद्देश्य स्थापित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं दिखाया गया है। आवेदक मस्जिद के हाफिज के रूप में काम कर रहा है और उसने 9 साल की एक लड़की से छेड़छाड़ की है, जो एक जघन्य अपराध है। इसलिए आवेदक को जमानत देने के लिए कोई मामला नहीं बनता है।