आचार्य विद्यासागरजी ने कहा— स्वस्थ रहने को शाकाहार और साधु-संतों की संयमित जीवन चर्या अपनाएं
इंदौर। आचार्य विद्यासागरजी महाराज का 75वां अवतरण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर केसरबाग रोड स्थित नेमीनाथ जैन मंदिर में उन्होने महत्वूर्ण सामयिक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
कोरोना की विभीषिका को लेकर उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी आएंगी और चली जाएंगी। स्वस्थ रहने के लिए शाकाहार और साधु-संतों की संयमित जीवन शैली अपनानी होगी। कोरोना से कई लोगों का रोजगार गया है, सरकार को राजनीति की चिंता छोड़कर भुखमरी और पलायन रोकना चाहिए। गांवों में शहर जैसी सुविधा देंगे तो उन्हें शहर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में आचार्यश्री ने कहा कि यह भारतीय परंपरा नहीं है। जब तक विद्यार्थी शिक्षक के सामने नहीं होगा, उसके भाव पढऩे के नहीं बनेंगे। ये व्यवस्था अल्प समय की है। कोरोना के कारण रोजगार के संकट पर कहा कि व्यावसायिक लोगों को मशीनरी का उपयोग न कर गरीब जनता को काम देना चाहिए। कोरोना के कारण जो क्षति हुई उसकी पूर्ति हो जाएगी। आचार्यश्री ने कहा कि राजनीति और धर्म नीति अलग-अलग है। धर्मनीति में इंसान और ईमान बराबर होते हैं। राजनीति में अलग-अलग। उन्होने यह भी कहा कि भारत में शाकाहार का प्रचलन ज्यादा है इसलिए हर मसले पर सोच-समझकर, शांतिपूर्वक निर्णय करते हैं। कोई भी देश भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। हमारे पास अहिंसा की शक्ति है। आचार्यश्री ने आत्मा के विकास के संबंध में बताया कि पैरों का मर्दन, आंखों का बंधन, मन-मस्तिष्क को चिंतन ये आत्मा के विकास के मार्ग हैं। आसन और अशन (आहार) की शुद्धि ध्यान की ओर प्रवृत्त करती है।