पत्रकारिता— एक पवित्र व्यवसाय
हम उस दौर में हैं, जहां सब कुछ व्यावसायिक होता जा रहा है। ऐसे में पत्रकारिता को भी व्यवसाय मानने से इंकार करने का कोई कारण नहीं है। बडी संख्या में लोग पूर्णकालिक या अंशकालिक पत्रकारिता करते हैं और अपनी योग्यता के अनुसार इससे धन अर्जित कर रहे होते हैं। यदि आप अपने जीवन के कई साल स्वयं को एक पत्रकार के रूप में विकसित करने में लगाते हैं तो निश्चित रूप से आपकी रोजी— रोटी का माध्यम पत्रकारिता ही बनेगी। कभी पत्रकारिता मिशन होती थी। यह वह दौर था, जब राजनीति भी मिशन होती थी। समय बदला और समाज की सोच भी बदली। इस अनुदार और असंवदनशील समय में यदि लेखन और पत्रकारिता के लिए पूर्णकालिक समर्पित हैं और इसे व्यावसायिक रूप नहीं देते तो अधिक समय नहीं टिक पाएंगे। आप अपने संसाधन इसमे होम करते जाएंगे और एक दिन यह स्थिति बनेगी कि आपके आसपास से भीड छंट चुकी होगी तथा आप कर्ज में डूबकर किसी तरह अत्यंत कठिन और अपमानजनक जीवन बिताने को विवश हो जाएंगे। इसलिए स्वीकार करें कि पत्रकारिता व्यवसाय है।
अब हम पत्रकारिता को व्यवसाय मानकर आगे चर्चा करते हैं। व्यवसाय कोई त्याज्य विषय नहीं है। दुनिया की अधिकांश गतिविधियां व्यवसाय के बल पर ही संचालित होती हैं। व्यवसाय अर्थ यानि धन पर केंद्रित होता है। कूटनीति— राजनीति के प्रमुख आचार्य कौटिल्य यानि चाणक्य ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम कौटिलीय अर्थशास्त्रम् रखा। कारण यह था कि राज, धर्म और समाज अर्थ से ही संचालित होते हैं। किसी भी अन्य व्यवसाय की तरह पत्रकारिता में भी ?निपुणता अर्जित करना समयसाध्य और धनसाध्य होता है। चिकित्सा एक व्यवसाय है। वकालत एक व्यवसाय है। नौकरियों में भी व्यावसायिक दक्षता आवश्यक होती है। अब हम अन्य व्यवसायों की बात न करके पत्रकारिता की बात करते हैं। पत्रकारिता एक पवित्र व्यवसाय से है। यह सीधे सामाजिक सरोकारों से जुडी होती है। एक चिकित्सक गडबडाता है तो एक मरीज की जान संकट में होती है, लेकिन एक पत्रकार गडबडाता है तो समाज की सेहत संकट में आ जाती है। इसलिए पत्रकारिता को व्यवसाय मानते हुए भी इसे पवित्र व्यवसाय मानना चाहिए। इसकी पवित्रता लोकहित को सर्वोपरि मानने में निहित है। समाज का भी यह दायित्व है कि पवित्र और अपवित्र पत्रकारिता का सक्रिय समर्थन या विरोध करके इसके लोककल्याण के पक्ष को मजबूती प्रदान करती रहे।
—याज्ञवल्क्य
—लेखक ‘शुभ चौपाल’ के संपादक हैं।
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—शुभ चौपाल— वर्ष—3, अंक—12, प्रकाशन तिथि—28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2020.
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