सृष्टि के प्रथम पत्रकार देवर्षि नारद ने की थी नारदी संगम पर तपस्या

—नीलम तिवारी—
सोहागपुर। सोहागपुर को असुर राज बाणासुर की नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यहां से कभी तीनों लोकों का शासन चला करता था। यहां के पावन नर्मदा तटों पर तमाम देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों ने भी तपस्या की है। ब्रह्मा जी और सरस्वती जी के मानस पुत्र देव ऋषि नारद जी ने भी नर्मदा जी के उत्तर तट पर स्थित नारदी संगम पर तपस्या की है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के रेवाखंड में भी है, जिसे नर्मदा पुराण भी कहा जाता है।

ग्रथों के अनुसार मृगेंद्र नाथ से प्रवाहित होकर नर्मदा जी में समाहित होने वाली नारदी नदी और नर्मदा जी के संगम पर देवर्षि नारद जी ने भी तपस्या की थी, जिन्हें सृष्टि का प्रथम पत्रकार भी माना जाता है। नारदजी के अलावा सोहागपुर क्षेत्र के नर्मदा तटों पर नर्मदा जी के दक्षिण तट पर स्थित सूरजकुंड पर भगवान सूर्यनारायण और उनकी पत्नी छाया में तपस्या की थी बताते हैं यही अश्वनी कुमारो का भी जन्म हुआ था। इसके अलावा अजेरा में श्री रेवा कुब्जा संगम के दक्षिण तट पर मरीचिक मुनि के तीन जन्मों के श्राप से मुक्ति पाने के लिए खुद माता सरस्वती ने तपस्या की थी। मान्यता है कि यहां पर स्नान— ध्यान और पूजन— अर्चन करने से चर्म कुष्ठ आदि रोगों रोगों से छुटकारा मिलता है। नारदी संगम पर नारद जी की जयंती के अवसर पर आसपास की ग्रामीण जनों ने नारदजी की तपोभूमि सहित नर्मदा जी के दर्शन किए ।

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