सरकार भी बक्सवाहा के मुद्दे को संजीदगी से लेगी— करुणा रघुवंशी

देश— विदेश में पर्यावरण प्रेमियों के बीच करुणा रघुवंशी एक जाना— माना नाम है। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा में हीरा खदान के लिए बडे स्तर पर वनों और वन्य प्राणियों के विनाश की जानकारी ने इन्हे विचलित कर दिया और इनको बचाने के लिए छेडा गया अभियान लोगों की जुबान पर है। दरअसल, करुणा रघुवंशी करीब दो दशकों से पर्यावरण, नारी सशक्तिकरण और उपलब्ध संसाधनों के लोक हित में प्रबंधन की अपनी सोच को अमलीजामा पहनाने के जुनून के कारण चर्चाओं में बनी रही हैं। इस अवधि में अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी हासिल होते रहे हैं। यहां प्रस्तुत हैं, ‘शुभ चौपाल’ द्वारा लिए गए विस्तृत साक्षात्कार के संपादित अंश—

प्रश्न— ‘बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान’ सर्वाधिक चर्चित मुद्दों में शामिल है और इस अभियान की आपके नाम के बिना चर्चा नहीं होती। यहां तक की यात्रा के बारे में कुछ बताएं।
उत्तर— देखिए, कुछ भी अचानक नहीं होता। प्रकृति सभी दैवीय शक्तियों का प्रत्यक्ष स्वरूप है। प्रकृति हमारी मां है और सच कहूं तो प्रकृति से मुझे हमेशा से वैसा ही भावनात्मक लगाव रहा है, जैसा मां से होता है। सन् 2005 से मध्यप्रदेश के विभिन्न भागों में पौधरोपण का सिलसिला लगातार चल रहा है और चालीस हजार से ज्यादा पेड जिसमे नीम, पीपल, बरगद, आम, जामुन और गुल्लर आदि प्रजाति के वर्तमान में फल, फूल और छाया प्रदान कर रहे हैं। 2009 से लगातार विभिन्न प्रजातियों के वन्य जीव जिसमें गौरैया, हमिंग बर्ड, कौआ, कबूतर, तोता, बटेर, गिलहरी, और तितलियां शामिल हैं, इन्हे सुरक्षा और पोषण पोषण के साथ सरंक्षित किया जा रहा है। आज इनकी संख्या चार हजार से ज्यादा है। 2018 में सोशल मीडिया कैम्पेन ‘हरित आंदोलन, शपथ 10 वृक्ष लगाने की’ के तहत पूरे देश मे लाखों पौधों का रोपण रोपण हुआ तथा लोगो में वृक्षारोपण और पक्षी संरक्षण के प्रति चेतना बढी और लाखों पक्षियों को पिंजरे से आजादी एवम संरक्षण प्राप्त हुआ है।
2018 से विभिन्न संगठनों के साथ लगातार रक्तदान शिविर लगाकर युवाओं को जागरूक किया जा रहा है। ऐसे कामों की लंबी फेहरिश्त है, लेकिन उद्देश्य सर्वांगीण विकास है। प्रकृति से जुडाव और संरक्षण के बिना सर्वांगीण विकास की बात ही बेमानी है। अलग— अलग समय, अलग— अलग स्थितियों में प्राथमिकता के क्रम तय होते रहते हैं, लेकिन उद्देश्य वही रहते हैं।

प्रश्न— पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के साथ यह सब कैसे हो पाता है?
उत्तर— ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ हमारी सोच रही है। जहां संपूर्ण पृथ्वी अपना कुटुंब हो, वहं कुछ भी करना अपने परिवार के लिए ही करना तो है। निश्चित रूप से परिवार के दोनो पक्षों के लिए शायद उतना समय नहीं दे पाते, जितना दिया जाना चाहिए, लेकिन सभी मेरे जुनून को स्वीकार कर चुके हैं। बहुत अधिक लोगों का हित कुछ लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा मायने रखता है।

प्रश्न— बक्सवाहा बहुत बडा मुद्दा बन चुका है। इसके अंजाम के बारे में क्या अंदाजा है?
उत्तर— सबसे पहले यह जरूरी होता है कि आप जो कह रहे होते हैं, वह जनता तक पहुंचे और जनता उससे सहमत हो। इस मुद्दे पर यह स्थिति बन चुकी है। बिना किसी आग्रह— दुराग्रह के हमने सभी का समर्थन चाहा और जानीमानी हस्तियों से आमजन तक यह भरपूर मिल रहा है। यह भी तय है कि निर्णायक शक्ति सरकार में ही निहित होती है। हमारे आश्वस्त होने का मजबूत आधार है। कोई भी लोकप्रिय सरकार जन भावनाओं की उपेक्षा नहीं करती। हमारा मानना है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को संजीदगी से लेगी और यह जताएगी कि सरकार के लिए भी हीरों से कहीं बहुत अधिक कीमती लोकहित होता है।

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