मुस्कुराती शाम लाना
स्वर्णा तिवारी
सोहागपुर, मध्यप्रदेश
मेहनत से जो मिले कुछ
ऐसा सुकून,आराम लाना।
थक हारकर जो लौटे
मुस्कुराती शाम लाना।
बेचैन मन को थामें
अपनों का साथ लाना।
खुशियों को जो बांटे
मुस्कुराती शाम लाना।
मिटाएं मन के अंधेरे
थोड़े जुगनू बांध लाना।
अपनों को जो जोड़ें
मुस्कुराती शाम लाना।
एहसासों से हो बने
एक आशियान लाना।
घर को जो सजाए
मुस्कुराती शाम लाना।
तपती जमी को शिफा दे
घटाएं अनजान लाना।
इंतजार में जो रीते
मुस्कुराती शाम लाना।
चिड़ियों को जो बुलाए
नीड की आवाज लाना।
घर लौट आए जो राहें
मुस्कुराती शाम लाना।
धन— धान्य से भरे हों
खेत और खलिहान लाना।
किलकारियों से जो गूंजे
मुस्कुराती शाम लाना।
आगाज को आवाज दें
ऐसे नये आयाम लाना।
नये सवेरे जो दिखाएं
मुस्कुराती शाम लाना।
हर पल कुछ सिखाएं
जिंदगी आबाद लाना।
छू जाए जो सदाएं
मुस्कुराते शाम लाना।
उम्र भर हंसा दे
यादों की सौगात लाना।
अपनों के संग जो बीते
मुस्कुराती शाम लाना।
भटक जाऊँ कहीं तो
मुझको तुम थाम लाना।
हो साथ जो कलम के
मुस्कुराती शाम लाना।