मध्यप्रदेश— शहरों से ज्यादा गांवों में बढ़ा कोरोना का खतरा
भोपाल। कोरोना विषाणु के संक्रमण के दूसरे भयावह दौर में मध्यप्रदेश में एक बडा बदलाव दिख रहा है। अब शहरों से ज्यादा गांवों में संक्रमण की रफ्तार ज्यादा तेज है। हाल ही में प्रदेश में संक्रमण के आंकडों में मामूली गिरावट के बावजूद गांवों से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। यह स्थिति इसलिए अधिक चिंताजनक है कि प्रदेश के अधिकांश गांवों में इलाज की व्यवस्थाओं के साथ ही सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के ज्यादातर इंतजाम भी कागजों पर ही हैं।
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के संबंध में दो दिन से राहत भरी खबर आ रही है। आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना का ग्राफ लगातार गिर रहा है। सोमवार और मंगलवार को प्रदेश में कोरोना के 10 हजार से कम मामले मिले हैं। लेकिन गांवों में शहरी क्षेत्र की तुलना में अधिक संक्रमण चिंताजनक स्थितियों की ओर इशारा कर रहा है। यहां तक कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं सभी को चेता रहे हैं कि गांवों में लोग नहीं संभलें तो स्थिति भयावह हो जाएगी।
यदि कोरोना के सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करें तो स्ष्ट होता है कि पहली लहर का शहरी क्षेत्र में प्रकोप ज्यादा था और कोरोना की दस्तक गांवों में कम थी। कोरोना की दूसरी लहर गांवों में भी कहर बरसा रही है। जागरुकता और जानकारी के अभाव में गांवों के लोग सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होने से पहले ही दम तोड रहे हैं। प्रदेश में जब कोरोना पीक पर था, तब शहर में 5,879 केस मिल रहे थे और गांव से 7,251 मरीज मिल रहे थे। नौ मई को मरीजों की संख्या घटी है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों से ही ज्यादा रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 9 मई को शहरी क्षेत्रों में 5,499 संक्रमित लोग मिले हैं। वहीं, गांव से 6414 संक्रमित मरीज मिले हैं।
नौ अप्रैल के एमपी में जो सरकारी आंकड़े कोरोना संक्रमित के आए थे, उनमें 49 फीसदी मरीज ग्रामीण इलाकों से थे और शहरी क्षेत्रों से 51 फीसदी मरीज थे। नौ मई को स्थिति बिल्कुल उल्ट हो गई है। शहरी क्षेत्रों में संक्रमण की रफ्तार कम हो रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कोरोना मरीज ज्यादा मिल रहे हैं। 54 फीसदी मरीज नौ मई को ग्रामीण क्षेत्रों से मिले हैं और 46 फीसदी मरजी शहरी क्षेत्रों से मिले हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश के अधिकांश गांवों में कोरोना मरीजों की जांच ही नहीं हो रही है। ज्यादातर गांवों के लोग झोलाछाप डॉक्टरों अथवा नीमहकीमों से अपना इलाज करवा रहे हैं। ऐसे मरीजों के बारे में सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है। देश के जिन 15 जिलों में पॉजिटिविटी रेट सबसे हाई है, उनमें मध्यप्रदेश के भी दो जिले हैं। तीन से नौ मई तक विदिशा में पॉजिटिविटी रेट 48.3फीसदी था, जबकि शहडोल में 48.9फीसदी थी। हाई टेस्ट पॉजिटिविटी रेट का मतलब यह भी होता है कि सिर्फ गंभीर रूप से बीमार लोगों की जांच हो रही है। जानकार यह भी कहते हैं कि ऐसे में ज्यादातर मामलों की पहचान नहीं हो पाती है।