प्रोटीन इंजीनियरिंग से बनाई कैंसर की दवा

इंदौर। रक्त कैंसर के उपचार की दिशा में भारतीय तकनीकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर ने महत्वपूर्ण काम किया है। इसके इलाज में काम आने वाले ऐस्पैरजाइनेस ड्रग की जगह प्रोटीन इंजीनियरिंग से एम-एएसपीएआर नाम से नया ड्रग बनाया है।

भारतीय तकनीकी संस्थान (आइआइटी) के बायोसाइंस और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डा. अविनाश सोनावणे ने इस संबंध में पेटेंट दर्ज कराया है। डा. सोनावणे ने रक्त कैंसर के उपचार में काम आने वाले ऐस्पैरजाइनेस ड्रग की जगह एम-एएसपीएआर नाम से नया ड्रग बनाया है। इस ड्रग के साइड इफेक्ट काफी कम रहेंगे। इसे प्रोटीन इंजीनियरिंग टेक्नोलाजी का सहारा लेकर बनाया गया है। ऐस्पैरजाइनेस ड्रग चीन, यूरोप, अमेरिका और कई देशों से भारत में कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए मंगाया जाता है। इससे एलर्जी रिएक्शन, लिवर और शरीर के अन्य अंगों पर गलत प्रभाव देखने को मिला है। आइआइटी इंदौर ने इसकी जगह एम-एएसपीएआर से ड्रग बनाया है।

बताया गया है कि ड्रग का पेटेंट मिलने के बाद इसके ट्रायल के लिए ग्रांट मिल चुकी है। अब मुंबई के टाटा कैंसर अस्पताल और अन्य संस्थानों के साथ मिलकर फेज एक और फेज दो का ट्रायल होगा। डा. सोनावणे का कहना है कि बाजार में आने के बाद यह अन्य देशों से मंगाए जाने वाले ड्रग की तुलना में सस्ता और लंबे समय तक शरीर में काम करने वाला ड्रग होगा। इससे ब्लड कैंसर के उपचार के खर्च में भी कमी आएगी। संस्थान को 11 साल के शोध के बाद यह सफलता मिली है।

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