बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान— जीवन के लिए पर्यावरण जरूरी, हीरे नहीं
—चौधरी भूपेंद्र सिंह—
मो—9977169444
subhchoupal@gmail.com
भोपाल। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बकस्वाहा के जंगल की बंदर हीरा खदान को लेकर देश के पर्यावरण गंभीरता से पर्यावरण की रक्षा के लिए रणनीति बना रहे हैं। इस संबंध में करीब पचास पर्यावरणविदों की ऑनलाइन बैठक में इस बात पर सभी सहमत थे कि मनुष्यों और सभी जीव— जंतुओं के लिए पर्यावरण जरूरी है, हीरे नहीं। बैठक में पर्यावरण की कीमत पर हो रहे विकास के दुष्परिणामों को तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान के लिए आदित्य बिड़ला समूह काम शुरू करने की तैयारी में है। इसके विरोध में लामबंद हो रहे पर्यावरण प्रेमियों का तर्क है कि इस खदान से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचेगा। खदान के लिए सैकडों एकड जंगल में खुदाई होगी। इसके लिए करीब सवा दो लाख से अधिक पेड काटे जा सकते हैं। इनमें सागौन, इमरती, इमली, अर्जुन, सेमल सहित कई औषधीय पेड़— पौधे शामिल हैं। इसके अलावा जंगल में रहने वाले हजारों वन्य प्राणियों का जीवन संकट में रहेगा क्योंकि उनका प्राकृतिक आश्रय छिन जाएगा।
यह हैं खदान
देश में सबसे बड़े हीरा मिलने की उम्मीद में यह नवीन खदान बन रही है। पहले से विवादों के चलते अटकती रही छतरपुर जिले के बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान 364 हेक्टेयर वनभूमि में है। हीरा बंदर खदान में 34. 20 मिलियन कैरेट हीरा भंडार होने की संभावना है, जिसका अनुमानित मूल्य 55 हजार करोड़ रुपये आंका गया है। मध्यप्रदेश शासन को इस हीरा खदान से लीज अवधि में लगभग 16 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रीमियम के रूप में प्राप्त होंगे। इसके अलावा, छह हजार करोड़ रुपये रायल्टी के रूप में खनिज मद में प्राप्त होंगे। इस खदान की लीज अवधि 50 वर्ष होगी। बंदर हीरा खदान पर आदित्य बिड़ला समूह जल्दी ही काम शुरू कर देगा, क्योंकि सरकार ने इसका आशय पत्र (एलओआई) समूह के अधिकारियों को सौंप दिया है।
ये पर्यारणविद हुए शामिल
इस खदान के विरोध में देश के करीब पचास पर्यावरणविद ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए। डॉ धर्मेंद कुमार पीपल नीम तुलसी अभियान भारत, कमलेश कुमार उद्घोष संस्था झारखण्ड, चौधरी भूपेंद्र सिंह बरेली, मध्यप्रदेश, करुणा रघुवंशी,जंगल बचाओ अभियान, प्रेम सिंह विदिशा, मध्यप्रदेश, मनी जी, दैनिक जागरण,पटना, कैप्टन राज द्विवेदी, जय कृष्ण, कमल सिंह, कमलेश सिंह, मणिशंकर झा, मिथलेश शर्मा, मृत्युंजय मणी, शिवपूजन सिंह, पूनम खन्ना, डॉ धर्मेंद्र, राजीव कुमार, संजय कुमार, संतोष झा, बिहार, दीपक गौर, राकेश कुमार विश्नोई, हितेश पटेल, आनंद पटेल, राजीव गोधरा, आर मदन, रोहित शर्मा इन्दौर, राकेश विशनोई, विवेक सक्सेना, डॉ ओपी, पं अनिल तिवारी, कटनी, अनुपम,पलामू झारखंड, डॉ डीके सिन्हा बनारस, उत्तर प्रदेश, अभिषेक, पन्ना, मध्यप्रदेश, नीतीश कुमार, मुगेर, बिहार, सुजीत कुमार, समस्तीपुर, बिहार, संतोष झा, भागलपुर(बिहार), सुवेन्दु राउतरी, उडीसा, रणदीप रघुवंशी, बैतूल, मप्र, सुखजीत सिंह डोनियाल, राकेश सिंह, हरियाणा, अल्पना देशपांडे, छत्तीसगढ़ और राकेश कुमार, भागलपुर, बिहार सहित अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए पर्यावरण का महत्व बताते हुए इसकी रक्षा के लिए एकजुट होकर काम करने की जरूरत बताई।