डॉ कांग ने कहा— मई के अंत तक कम होने लगेगा कोरोना

नई दिल्ली। देश में कोरोना के भयावह आंकडों के बीच यह उम्मीद भी की जा सकती है कि यदि हम यह समय पूरी सावधानी से गुजार दें तो यह खतरा कम हो जाएगा। जानी-मानी वायरोलॉजिस्ट डॉ गगनदीप कांग का कहना है कि देश में मई के अंत तक कोविड-19 की दूसरी लहर का असर कम होने लगेगा। डॉ कांग भारत की पहली महिला वैज्ञानिक हैं, जिन्हें रॉयल सोसायटी के फेलो को रूप में चुना गया है। वह वायरस और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए किए गए इंटर-डिसिप्लिनरी रिसर्च के लिए जानी जाती है। इस समय वे पंजाब और आंध्र प्रदेश सरकार के साथ सलाहकार के रूप में इस महामारी से निपटने में मदद कर रही हैं।

भारतीय महिला प्रेस कोर की सदस्यों से एक वर्चुअल बातचीत में डॉ कांग ने कहा कि जिस तरह के मॉडल हम देख रहे हैं, उससे एक अंदाज़ा लगाया सकता है कि मई के मध्य से लेकर अंत तक कोरोना का प्रभाव कम होने लगेगा। कुछ मॉडल को देखते हुए ये भी संभव है कि जून की शुरुआत में केस कम होने लगें, लेकिन जो हमें अभी नज़र आ रहा है उसके आधार पर मई के आख़िरी में ऐसा होने की ज़्यादा संभावना है।

डॉ. कांग देश में कोरोना की दूसरी लहर का ज़िम्मेदार मध्यम वर्ग और ग्रामीण इलाक़े में इसके विस्तार को मानती हैं- जहां ये संक्रमण पहली लहर के दौरान नहीं पहुंचा था। उन्होंने कहा कि इर बार जो केस हमें दिख रहे हैं वो पिछली बार की तुलना में तीन-साढे तीन गुना ज़्यादा हैं। जितना तेज़ी से ये संक्रमण बढ़ा है उतनी ही तेज़ी से ही ये घटेगा भी। टेस्टिंग कम होने के बावजूद हम इस वक़्त कोरोना के मामलों में पीक देख रहे हैं। 18 से 44 साल के लोगों को संक्रमण का सबसे कम खतरा है, अपेक्षाकृत बुजुर्ग और वो लोग जिन्हें पहले से शुगर,ब्लड-प्रेशर जैसी बीमारियां हैं,उन्हें ख़तरा थोड़ा ज्यादा है।

लॉकडाउन के सवाल पर वह कहती हैं कि अगर हम अगले दो-तीन सप्ताह तक कम नए केस चाहते हैं तो लॉकडाउन इसमें ज़रूर मदद करेगा। इससे एक बात की गारंटी होगी कि आने वाले दिनों में केस कम हो जाएंगे। लेकिन सवाल ये है कि क्या हम ये करने की स्थिति में हैं,अगर आप ये करते हैं तो आपको दिखाना होगा कि आपने बीते साल जो मानवीय त्रासदी लॉकडाउन से पैदा हुई थी उससे निपटने के लिए क्या सीखा है? अगर ये गारंटी दी जाए कि वैसा फिर नहीं होगा, लोगों को रहने के लिए सुरक्षित जगह, खाना दिया जाए, ये तय किया जाए कि मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होता तो लॉकडाउन लगाना चाहिए।

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