मध्यप्रदेश— छतरपुर की बंदर हीरा खदान का विरोध कर रहे पर्यावरणविद

भोपाल। एक ओर जहां प्रदेश के छतरपुर जिले के बकस्वाहा के जंगल की बंदर हीरा खदान पर आदित्य बिड़ला समूह जल्दी ही काम शुरू करने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण प्रेमी इसके विरोध में लामबंद हो रहे हैं। इसका कारण यह है कि इस खदान के लिए यहां करीब सवा दो लाख से अधिक पेड काटे जा सकते हैं। देश में सबसे बड़े हीरा मिलने की उम्मीद में यह नवीन खदान बन रही है। पहले ही यह खदान विवादों के चलते अटकती रही है।

छतरपुर जिले के बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान 364 हेक्टेयर वनभूमि में है। हीरा बंदर खदान में 34. 20 मिलियन कैरेट हीरा भंडार होने की संभावना है, जिसका अनुमानित मूल्य 55 हजार करोड़ रुपये आंका गया है। मध्यप्रदेश शासन को इस हीरा खदान से लीज अवधि में लगभग 16 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रीमियम के रूप में प्राप्त होंगे। इसके अलावा, छह हजार करोड़ रुपये रायल्टी के रूप में खनिज मद में प्राप्त होंगे। इस खदान की लीज अवधि 50 वर्ष होगी। बंदर हीरा खदान पर आदित्य बिड़ला समूह जल्दी ही काम शुरू कर देगा, क्योंकि सरकार ने इसका आशय पत्र (एलओआई) समूह के अधिकारियों को सौंप दिया है।

इसलिए विरोध
पर्यावरणविदों के विरोध के संबंध में चौधरी भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि इस खदान को बनाने के लिए सैकडों एकड वनों के सवा दो लाख से अधिक पेड काटे जाएंगे। इनमें सागौन, इमरती, इमली, अर्जुन, सेमल सहित कई औषधीय पेड़— पौधे शामिल हैं। पर्यावरणविद करुणा रघुवंशी ने एक ज्ञापन के माध्यम से सरकार का ध्यान विशेष रूप से इस ओर आकर्षित कराया है कि एक स्वस्थ वृक्ष से प्रतिदिन 230 लीटर ऑक्सीजन मिलती है जिससे 07 लोगों को प्राणवायु प्राप्त होती है। इस खदान से लाखों लोगों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन से हम हाथ धो बैठेंगे। पर्यावरणविदों का तर्क है कि जंगल की कटाई का सीधा असर पर्यावरण पर पड़ेगा और तापमान मे काफी वृद्धि होगी। इस तापमान को संतुलित करने मे कम से कम 50 वर्ष तक का समय लग सकता है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी का हमारा देश वर्तमान समय मे कोविड—19 के कारण ऑक्सीजन की समस्या से जूझ रहा है। बताया गया है कि इस संबंध में देशभर के पर्यावरण के लिए काम कर रहे संगठनों और लोगों से वार्ता की जा रही है। इनमें उद्घोष फाउंडेशन, झारखण्ड, पीपल नीम तुलसी अभियान बिहार, चौधरी भूपेंद्र सिंह, प्रताप संस्थान बरेली जिला-रायसेन, करुणा रघुवंशी, कैटन राज द्विवेदी सतना, सुदेश बाघमारे आदि शामिल हैं।

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