किसान आंदोलन— 5 मई को बड़ी संख्या में दिल्ली की ओर कूच

चंडीगढ़। कोरोना के कहर के साथ ही दिल्ली में किसान आंदोलन इसलिए कमजोर दिख रहा है कि पंजाब के किसान गेहूं की कटाई के लिए खेतों की ओर लौट गए थे। अब यहां गेंहू की कटाई लगभग खत्म हो चुकी है और अब भारी संख्या में किसान और खेतों में काम करने वाले मजदूर कृषि कानून के विरोध में जारी आंदोलन को गति देने के लिए 5 मई को दिल्ली की ओर कूच करने को तैयार हैं।

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने आने वाले दिनों में किसान आंदोलन को गति देने के लिए भारी संख्या में पंजाब के किसानों और मजदूरों को दिल्ली भेजने की घोषणा की है। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू उग्राह) 10 मई को भारी संख्या में किसान आंदोलनकारियों को दिल्ली की ओर भेजने की योजना बना रही है, वहीं किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने अमृतसर जिले के किसानों और मजदूरों को 5 मई को दिल्ली बॉर्डर पर भेजने की योजना बनाई है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, ‘5 मई को कम से कम 1 हजार ट्रैक्टर ट्राली और अन्य वाहन अमृतसर से दिल्ली की ओर मार्च करेंगे और इस जत्थे में 10 से 15 हजार किसानों के शामिल होने की उम्मीद है, जो सिंघू-कोंडली बॉर्डर पर पहुंचेंगे। जब से दिल्ली में आंदोलन शुरू हुआ है उसके बाद से यह किसानों का 12वां जत्था है जो दिल्ली जा रहा है। इसके अलावा छोटी-बड़ी संख्या में किसान आंदोलनकारी कई गांव से आए दिन दिल्ली आते जाते रहते हैं।’

सरवन सिंह ने आगे कहा कि केंद्र सरकार इस भ्रम में है कि यह आंदोलन असफल हो जाएगा। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों की भीड़ तब तक डटी रहेगी तब तक केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस नहीं ले लेती। फसल की कटाई कर कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर लौट रहे किसान, नए जत्थे संग टीकरी बॉर्डर पहुंचे गौरतलब है कि पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर लंबे समय से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

इधर हरियाणा के बहादुरगढ़ से आ रही सूचनाएं बता रही हैं कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों के नए जत्थे टीकरी बॉर्डर पहुंच रहे हैं। गेंहू की कटाई के चलते काफी प्रदर्शनकारी धरनास्थल से अपने खेत-खलिहानों पर चले गए थे, वे अब वापस लौट रहे हैं। बहादुरगढ़ में जुटे 5 दर्जन से ज्यादा किसानों ने कहा कि, भयंकर गर्मी के बीच भी वे सभाओं में भाग ले रहे हैं। मंच के माध्यम से लोगों को अफवाहों से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। एक वृद्ध किसान बोले कि सरकार कोरोना की आड़ में अन्नदाता के आंदोलन को खत्म करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए मनगढ़ंत बातें फैलाई जा रही हैं, मगर हम लोगों को इन पर ध्यान न देकर अपने हकों की लड़ाई जारी रखनी है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े एक किसान नेता ने कहा कि, आंदोलन शांतिपूर्वक ही चल रहा है। सरकार को समझ लेना चाहिए कि किसान तब तक पीछे नहीं हटेगा, जब तक कि तीनों कानून निरस्त नहीं हो जाते। फसल की कटाई के बाद किसान अपने साथ नए जत्थे लेकर टीकरी बॉर्डर पहुंच रहे हैं।

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