रायसेन- दलालों और दादाओं के बीच लुट रहे किसान, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
रायसेन। जिले में समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीदी केंद्र संचालकों के साथ ही नेताओं, अधिकारियों, दलालों और दादाओं के लिए भी कमाई का बढा माध्यम रहा है। इस बार कोरोना की आपदा को भरपूर कमाई के अवसर में बदलने के लिए ये सभी एकजुट होकर जुटे हुए हैं। अधिकांश खरीदी केंद्रों पर पहुंचने पर यह बात साफ हो जाती है।
-शुभ चौपाल- ने जिले के करीब दो दर्जन खरीदी केंद्रों पर गहराई से जानकारी जुटाई। इससे यह बात सामने आई कि खरीदी केंद्रों पर संबंधित अधिकारियों और केंद्र संचालकों का भी ज्यादा जोर नहीं चल रहा है। इसका कारण यह है कि ये दिन में औपचारिकता के लिए कभी-कभार ही केंद्रों का चक्कर लगाते हैं। केंद्रों पर कमाई के सभी काम रात में होते हैं और उस समय कोई जिम्मेदार मौजूद नहीं रहता।
डर नहीं कोरोना का
खरीदी केंद्रों पर रात में कोरोना का डर नहीं दिखाई देता। केंद्रों के लिए जारी दिषा निर्देषों की धज्जियां हर रात उडती हैं। इन केंद्रों पर रात में बाजारों से ज्यादा चहल- पहल होती है और मास्क और दूरी के नियम लागू नहीं होते। शराब के ठेके भले ही बंद हैं, लेकिन खरीदी केंद्रों पर षराब की पार्टियां चलती रहती हैं।
आतंक का माहौल
रात होते ही इन खरीदी केंद्रों पर दलालों और दादाओं का वर्चस्व प्रारंभ हो जाता है। किसानों के अनाज की तुलाई से लेकर व्यापारियों का पुराना खराब अनाज और राशन दुकानों के गेहूं किसानों के नाम पर तुलवाने के लिए सौदाबाजी होती रहती है। किसी भी केंद्र पर उपलब्ध अनाज और वारदाने तथा रिकॉर्ड में दर्ज मात्रा में बडा अंतर देखा जा सकता है। इस बीच अगर कोई किसान नियम- कानून की बात कर दे तो उसकी पिटाई भी कर दी जाती है। पिट चुके किसान ‘रात गई, बात गई‘ की तर्ज पर यह बात किसी को नहीं बताते।
बन रहीं बढी योजनाएं
अभी इन केंद्रों पर तुलाई मशीन में गडबडी करके किसान से ज्यादा अनाज लेना, जल्दी तुलाई करवा देना, वारदाना देना, व्यापारियों और कंट्रोल के गेहूं खपाने जैसे काम हो रहे हैं। केंद्रों से मिल रही जानकारी बताती है कि बारिश की आड में अनाज खराब होना बताने, आग से अनाज जला बताने और केंद्रों से अनाज चोरी जैसी बढी योजनाओं बनाई जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि बडी कमाई के लिए इन योजनाओं पर स्थितियों के अनुसार सही समय पर अमल किया जाएगा।
-शुभ चौपाल, वर्ष—3, अंक—37-