मध्यप्रदेश— जामगढ ने कोरोना से संघर्ष की दिखाई राह, देशभर के विशेषज्ञ दिखा रहे जामगढ मॉडल में रुचि

भोपाल। कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर में राजधानी भोपाल के पडौसी जिले रायसेन के एक गांव जामगढ ने अपने स्तर पर कोरोना से संघर्ष की राह दिखाई है। इस गांव में 35 से अधिक कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन ये सभी बिना किसी सरकारी सहयोग के पूरी तरह स्वस्थ हैं। देशभर के विशेषज्ञ इस जामगढ मॉडल में रुचि दिखा रहे हैं कि किस प्रकार अपने बलबूते पर ग्रामीण किसी भी नुकसान से सुरक्षित हैं।

अप्रेल के प्रारंभ में यह गांव भी देश, प्रदेश और जिले में लगातार बढ रहे कोरोना संक्रमण से चिंतित था। चिंता इसलिए भी कुछ ज्यादा थी कि यहां इलाज का कोई सरकारी इंतजाम नहीं है। अगले दो— तीन दिन में जब स्वास्थ्य विभाग का अमला कोरोना की जांच के लिए आया तो ग्रामीणों ने स्वेच्छा से जांच कराई। इसके बाद हालत किसी भयानक सपने जैसी थी। करीब तीन दर्जन लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में थे। 5—6 अप्रेल से गांव का बडा हिस्सा कंटेनमेंट जोन में बदल चुका था।

फिर यह समझ में आया
यह जिला प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी का गृह जिला है। पहले लोगों को लगा कि इतनी बढी संख्या में संक्रमण और कंटेनमेंट जोन के कारण प्रशासन ध्यान देगा, लेकिन किसी ने भी आज दिनांक तक संक्रमितों और कंटेनमेंट जोन की सुध नहीं ली है। गांव के लोगों को समझ में आ गया कि अधिकारी और नेता कुछ नहीं करेंगे। लोगों ने परस्पर सहयोग और मनोबल बढाने की नीति पर अमल किया। संक्रमितों के साथ ही सभी ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले पदार्थों का लगातार सेवन किया। सावधानी गांव के लोगों का स्वभाव बन चुकी है। मास्क और सुरक्षित दूरी के नियम का सख्ती से पालन हो रहा है। यही कारण है कि सभी संक्रमित पूरी तरह स्वस्थ हैं और गांव में संक्रमण भी थम गया है।

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