छत्तीसगढ़— मुठभेड़ के बाद लापता कमांडो की नक्सलियों ने जारी की तस्वीर, रिहाई के लिए परिवार सडक पर

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर बीते शनिवार को हुए एनकाउंटर के बाद से लापता कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास की तस्वीर सामने आई है। मंगलवार को ही नक्सलियों ने एक बयान जारी कर यह बताया था कि तीन अप्रैल से लापता कोबरा जवान उनके कब्जे में है। राकेश्वर सिंह का परिवार उनकी रिहाई के लिए सड़क पर धरना दे रहा है। परिवार की मांग है कि सरकार राकेश्वर की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे।

मिली सूचनाओं के अनुसार बुधवार को नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह की तस्वीर जारी की है। तस्वीर में वह बैठे हैं और स्वस्थ दिख रहे हैं। सुकमा के स्थानीय पत्रकारों ने दावा किया है कि नक्सलियों ने उन्हें कोबरा जवान की तस्वीर भेजी है। नक्सलियों ने चिट्ठी लिखकर यह बताया है कि जवान उनके कब्जे में है।
उन्होंने कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा, तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।

दूसरी तरफ, बीजापुर में सीआरपीएफ कमांडो के परिजनों समेत सैकड़ों लोगों ने बुधवार को सड़क जाम कर दी। इन लोगों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार से मांग की है कि जल्दी से जल्दी कोबरा कमांडो राकेश सिंह मन्हास को रिहा कराया जाए। प्रदर्शन करते हुए परिजनों और अन्य लोगों ने मांग की है कि जिस तरह सरकार ने अभिनंद वर्धमान को पाकिस्तान से तत्काल रिहा कराया था, उसी तरह राकेश्वर सिंह को भी माओवादियों के कब्जे से मुक्त कराया जाए।

राकेश्वर सिंह की पत्नी मीनू ने पूरे मामले को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर एक जवान ड्यूटी पर पहुंचने में देरी कर दे तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है लेकिन अब जब एक जवान 3 अप्रैल से लापता है तो सरकार चुप बैठी है। मनहास की 5 साल की एक बच्ची है और वह परिवार में अकेले कमाने वाले शख्स हैं। उनकी मां ने भी सरकार से बेटे को रिहा कराने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ और नहीं चाहती। मैं सिर्फ अपने बेटे की वापसी चाहती हूं। सरकार कहां है? क्या इस सरकार के लिए एक जवान की जान की कोई कीमत नहीं है?’ राकेश्वर सिंह मनहास के ससुर ने भी उनकी रिहाई अब तक न हो पाने पर गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा, ‘क्या हमने इसी दिन के लिए सरकार को वोट किया था। हमारे बचाव के लिए कोई आगे नहीं आ रहा। वह मेरा दामाद है और हम उसकी वापसी चाहते हैं। बीते 4 दिनों से वह नक्सलियों के कब्जे में हैं, लेकिन उनकी रिहाई के लिए अब तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है।

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