रायसेन— मीडिया और प्रशासन ने कोरोना को बना दिया मजाक, गांव के लोग खासे नाराज
—शुभ चौपाल संवाददाता—
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रायसेन। कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम एवं बचाव हेतु आपदा प्रबंधन अधिनियम— 2005 प्रभावी है। मध्यप्रदेश शासन के गृह विभाग ने प्रदेश से सभी कलेक्टर— जिला दंडाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में गृह सचिव, भारत सरकार के अर्धशासकीय पत्र में दिए आदेशानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा था। मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में कोरोना को लेकर हाल ही में सामने आए समाचार हैरान करने वाले हैं। ऐसा लगता है कि मीडिया, सोशलमीडिया और प्रशासन ने कोरोना को मजाक बना दिया है। यह इसलिए कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशलमीडिया के स्थानीय धुरंधरों ने मनगढंत आंकडे और मनगढंत कारण स्थापित कर दिए। प्रशासन यह भूल गया कि अधिनियम की धारा—54 मिथ्या चेतावनी के लिए दंड का प्रावधान करती है।
जिले की बरेली तहसील के ग्राम जामगढ में 3 और 4 अप्रेल को पहली बार जांच हुई। 6 अप्रेल को जांच रिपोर्ट आई। इससे पहले ही एक दैनिक समाचारपत्र 3 अप्रेल को ‘पाठकों के पत्र’ स्तंभ में बरेली के एक जागरुक नागरिक के हवाले से जामगढ को कोरोना का ‘हॉट स्पाट’ घोषित कर चुका था। गांव में चर्चा है कि बिना किसी जांच के गांव को ‘हॉट स्पाट’ घोषित करने के पीछे बरेली के वे लोग हो सकते हैं, जो गांव में गुपचुप कोरोना फैलाने में कई दिनों से लगे रहे हों। जामगढ में कोरोना संक्रमितों की संख्या मनमाने ढंग से बताई जा रही है। इसके अलावा एक समाचारपत्र तो अपनी दिव्य दृष्टि से यह भी बता चुका कि छिंदवाडा के लोगों ने जामगढ में कोरोना फैला दिया।
प्रशासन दे ध्यान
गांव के लोग मीडिया और सोशलमीडिया वीरों की हरकतों से खासे नाराज हैं। बुधवार दोपहर 12 बजे तक की स्थिति में गांव में कोई भी व्यक्ति असुविधाजनक स्थिति में नहीं है और न ही किसी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की आवश्यकता आई है। गांव के लोगों ने गांव को बदनाम करने की साजिशों की जांच करने और संबंधितों के विरुद्ध आपदा अधिनियम के तहत कार्यवाही की मांग की है। गांव के लोगों ने शासन का ध्यान भी इस ओर आकर्षित कराया है।