नर्मदा जी के अलौकिक सौंदर्य दर्शन में रास्तों की बाधा

—नीलम तिवारी—
सोहागपुर। आमतौर पर नर्मदा घाटों को पहुंचने वाले रास्तों की हालत खराब ही है। हालांकि बीते सालों में इन पर बडी रकम खर्च की गई है, लेकिन सचाई यह है कि विभागीय अधिकारियों, ठेकेदारों और नेताओं की कृपा से इनमें गुणवत्ता नाममात्र को भी नहीं होती और पहली बारिश के नाम इनकी बर्बादी बता दी जाती है। यही कारण है कि नर्मदा जी के दर्शनों और परिक्रमा के इच्छुकों का सुगम की जगह अति कठिन रास्ते उत्साह कम कर देते हैं।

अधिकांश लोगों का यह मानना है कि यदि यह मार्ग सुगम और गुणवत्तापूर्ण बन जाए तो मढ़ई— पचमढ़ी आने वाले पर्यटक नर्मदा जी का अलौकिक सौंदर्य निहारने सूर्यास्त और सूर्योदय के समय यहां पहुंचना चाहेंगे। मार्गों के वर्तमान हालातों को देखते हुए टूरिस्ट ऑपरेटर भी पर्यटकों को यहां ले जाने का जोखिम नहीं उठाना चाहते। यदि नर्मदा जी तक पहुंचने के अच्छी गुणवत्ता के मार्ग बन जाते हैं तो निश्चित ही यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा और क्षेत्र को राजस्व का लाभ भी होगा।

यदि इसं संबंध में शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधि पहल करते हैं तो सबसे बडी बात तो यह है कि लोगों को पुण्य सलिला, पतित पावनी और सर्वदुख नाशिनी मां नर्मदा जी के दर्शन करने वालों को उनका दर्शन लाभ मिलेगा। नर्मदा जी के हर एक घाट की अलग महिमा है और अलग महत्व भी, जिनके चलते आध्यात्मिक ऊर्जा, संतोष और मन मांगी मुराद भी लोगों की पूरी होती है। लोगों का विश्वास है कि मां के दर्शन से मौत भी टल जाती है और पितरों का तर्पण भी हो जाता है। इसके अलावा कई घाटों पर पहुंचने से असाध्य रोग और व्याधियों का भी नाश पूछा होता है और यह सब पुराणोक्त तथ्य हैं ।
जैसे भगवान सूर्यनारायण और उनकी पत्नी  छाया की तपोस्थली सूरजकुंड पर पूस के पांचों रविवार जाने का विशेष महत्व है। यहां असाध्य रोग भी ठीक होते हैं और यहीं अश्वनी कुमार का जन्म हुआ बताया जाता है। इसी तरह माता सरस्वती की तपोस्थली श्री रेवा कुब्जा संगम पर चर्म— कुष्ठ आदि रोगों के निदान के अलावा असाध्य रोगों से भी छुटकारा मिलता है। यहां के दर्शनों से बुद्धि, विद्या और विवेक की प्राप्ति भी होती है। यहां गया के समान महत्व के चलते मां के दर्शनों से पितरों का तर्पण  भी होता है। यहीं पर गौ घाट है, जहां पर स्नान, भजन और पूजन आदि करने से स्वर्ण गाय के दान करने समान महत्व माना गया है। असाध्य रोग और व्याधियों से छुटकारे का एक स्थान नर्मदा  किनारे तेंदूनी संगम भी है ।

 

 

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