रायसेन— इसलिए जरूरी है मुख्य तकनीकी परीक्ष्रक जांच

एक करोड खर्च, एक सप्ताह से पानी के अभाव में बीमार हुआ मोहल्ला

—कमल याज्ञवल्क्य—
subhchoupal@gmail.com
खरगोन—रायसेन। केंद्र और प्रदेश सरकार की पेयजल योजनाओं की जमीनी हकीकत देखना हो तो रायसेन जिले के बाडी विकासखंड की ग्राम पंचायत जामगढ इसकी नजीर है। यहां पेयजल योजनाओं पर करीब एक करोड रुपए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और ग्राम पंचायत खर्च कर चुके हैं। वैसे तो गांव के लोग तीन महीने से पानी के लिए परेशान हैं, लेकिन बीते शनिवार से हेली जैसे त्यौहार पर भी लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। पानी के चक्कर में एक मोहल्ले की सभी महिलाएं और बच्चे बीमार हो चुके हैं। इसके बाद भी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी और ग्राम पंचयत के जिम्मेदार बेशर्मी से समस्या होने से इंकार कर देते हैं। यहां की पेयजल योजना की मुख्य तकनीकी परीक्षक से जांच इसलिए आवश्यक है, ताकि प्रदेश में इस तरह करोडों रुपयों की बंदरबांट उजागर हो सके।

ग्राम जामगढ में बीते सालों में दो पेयजल योजनाओं पर दों टंकियों के निर्माण पर बडी रकम खर्च हो चुकी थी। पाइप लाइन घोटाले से लेकर निर्माण कार्य के घटियापन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकाारियों और पंचायत की हिस्सेदारी के चलते गांव में पानी की परेशानी बनी रही। पेयजल योजनाओं में लाखों की कमाई का जरिया बने इस गांव का मुख्यमंत्री जलावर्धन पेयजल योजना के तहत उन्नयन के लिए चयन हुआ और एक बार फिर अवैध कमाई के लिए कुछ भी लिखने और कुछ भी कहने का खेल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और पंचायत का चल रहा है।

गांव में बीते शनिवार से पेयजल संकट बना हुआ है। एक सप्ताह में न तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने तो खबर ली ही नहीं, ग्राम पंचाायत भी बेखबर बनी हुई है। सर्वाधिक संकटग्रस्त एक मोहल्ले के लगभग हर घर में महिलाएं और बच्चे बीमार हो गए हैं। इसका कारण यह बताया गया कि महिलाएं और बच्चे सुबह जल्दी, तपती दोपहरी और रात में जहां भी पानी भरने का मौका दिखाई देता है, दौड लगा देते हैं।

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