आभासी दुनिया, आभासी रंग – रंगपर्व विशेष— एक

हमेशा से पढते— सुनते आए हैं कि यह दुनिया आभासी है। यहां कुछ होता नहीं है, बस सब कुछ होने का हमे आभास होता है। जब दुनिया आभासी है तो इसके रंग भी आभासी ही होते हैं। यानि आभासी दुनिया, आभासी चेहरे और आभासी रंग।

कई साल बीत चुके, जबसे यह दुनिया मेरे लिए आभासी ही अधिक लगती रही है। इस बीच कई बार तो स्वयं को स्वयं के लिए भी आभासी महसूस करने जैसा अहसास हुआ है। भ्रमित—सा रहा हूं, अपने वास्तविक रूप में होने को लेकर भी। यानि स्वयं को आभासी दुनिया के ज्ञान के कुछ अधिक निकट पाया है।

कोरोना के कठिन काल का हम सभी एक साल से सामना करते आ रहे हैं। यहां हम कोरोना का रोना नहीं रो रहे। केवल यह याद करने में लगे हैं कि इस एक साल ने सभी कुछ को कुछ और ज्यादा आभासी बना दिया है। यह आभासी दुनिया बहुत अच्छी लगती, यदि काश! आदमी की बुनियादी जरूरतें भी आभासी हो जाती।

बीती रात होलिका दहन होने का हमने आभास किया। अब पांच दिवसीय रंग पर्व प्रारंभ हो गया है। यह आभासी दुनिया इसलिए अच्छी लगती रही है कि इसमें आभासी ही सही, मन चाहे रंग चुनने का आनंद भी है। मित्रो, रंग पर्व पर आत्मीय शुभकामनाएं स्वीकार करें और आभासी चेहरे चुनें, आभासी स्थितियां चुनें और आभासी रंगों के साथ जमकर आभासी रंग पर्व का आनंद उठाएं।

—याज्ञवल्क्य
—स.ना.याज्ञवल्क्य—

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