मन की बात की 75वीं कड़ी— प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

नई दिल्ली। रविवार 28 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ की 75वीं कड़ी में देश की जनता से संवाद किया। उनके संबोधन का मूल पाठ यह है—

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार! इस बार, जब मैं,‘मन की बात’ के लिए, जो भी चिट्ठियाँ आती हैं, comments आते हैं, भाँति-भाँति के input मिलते हैं, जब उनकी तरफ नज़र दौड़ा रहा था, तो कई लोगों ने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात याद की।MyGov पर आर्यन श्री, बेंगलुरु से अनूप राव, नोएडा से देवेश, ठाणे से सुजीत, इन सभी ने कहा – मोदी जी इस बार ‘मन की बात’ का 75वाँ episode है, इसके लिए आपको बधाई। मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ कि आपने इतनी बारीक नज़र से ‘मन की बात’ को follow किया है और आप जुड़े रहेहैं। ये मेरे लिए बहुत ही गर्व का विषय है, आनंद का विषय है। मेरी तरफ़ से भी, आपका तो धन्यवाद है ही है, ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि आपके साथ के बिना ये सफ़र संभव ही नहीं था। ऐसा लगता है, मानो, ये कल की ही बात हो, जब हम सभी ने एक साथ मिलकर ये वैचारिक यात्रा शुरू की थी। तब 3 अक्टूबर, 2014 को विजयादशमी का पावन पर्व था और संयोग देखिये, कि आज, होलिका दहन है। ‘एक दीप से जले दूसरा और राष्ट्र रोशन हो हमारा’ – इस भावना पर चलते-चलते हमने ये रास्ता तय किया है। हम लोगों ने देश के कोने-कोने से लोगों से बात की और उनके असाधारण कार्यों के बारे में जाना। आपने भी अनुभव किया होगा, हमारे देश के दूर-दराज के कोनों में भी, कितनी अभूतपूर्व क्षमता पड़ी हुई है। भारत माँ की गोद में, कैसे-कैसे रत्न पल रहे हैं। ये अपने आप में भी एक समाज के प्रति देखने का, समाज को जानने का, समाज के सामर्थ्य को पहचानने का, मेरे लिए तो एक अद्भुत अनुभव रहा है।इन 75 episodes के दौरान कितने-कितने विषयों से गुजरना हुआ। कभी नदी की बात तो कभी हिमालय की चोटियों की बात, तो कभी रेगिस्तान की बात, कभी प्राकृतिक आपदा की बात, तो कभी मानव-सेवा की अनगिनत कथाओं की अनुभूति, कभी Technology का आविष्कार, तो कभी किसी अनजान कोने में, कुछ नया कर दिखाने वाले किसी के अनुभव की कथा। अब आप देखिये, क्या स्वच्छता की बात हो, चाहे हमारे heritage को संभालने की चर्चा हो, और इतना ही नहीं, खिलौने बनाने की बात हो, क्या कुछ नहीं था। शायद, कितने विषयों को हमने स्पर्श किया है तो वो भी शायद अनगिनत हो जायेंगे। इस दौरान हमने समय-समय पर महान विभूतियों को श्रद्धांजलि दी, उनके बारे में जाना, जिन्होंने भारत के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया है।हम लोगों ने कई वैश्विक मुद्दों पर भी बात की, उनसे प्रेरणा लेने की कोशिश की है। कई बातें आपने मुझे बताई, कई ideas दिए। एक प्रकार से, इस विचार यात्रा में, आप, साथ-साथ चलते रहे, जुड़ते रहे और कुछ-न-कुछ नया जोड़ते भी रहे। मैं आज, इस 75वें episode के समय सबसे पहले ‘मन की बात’ को सफल बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए और इससे जुड़े रहने के लिए हर श्रोता का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, देखिये कितना बड़ा सुखद संयोग है आज मुझे 75वीं ‘मन की बात’ करने का अवसर और यही महीना आज़ादी के 75 साल के ‘अमृत महोत्सव’के आरंभ का महीना। अमृत महोत्सव दांडी यात्रा के दिन से शुरू हुआ था और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा।‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम पूरे देश में लगातार हो रहे हैं, अलग-अलग जगहों से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें, जानकारियाँ लोग share कर रहे हैं।NamoApp पर ऐसी ही कुछ तस्वीरों के साथ-साथ झारखंड के नवीन ने मुझे एक सन्देश भेजा है। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने ‘अमृत महोत्सव’ के कार्यक्रम देखे और तय किया कि वो भी स्वाधीनता संग्राम से जुड़े कम-से-कम 10 स्थानों पर जाएंगे। उनकी list में पहला नाम, भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थान का है। नवीन ने लिखा है कि झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ वो देश के दूसरे हिस्सों में पहुँचायेंगे। भाई नवीन, आपकी सोच के लिए मैं आपको बधाई देता हूँ।

साथियो, किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान आप उसे देश के सामने ला सकते हैं, देशवासियों को उससे जोड़ने का माध्यम बन सकते हैं।आप देखिएगा, देखते ही देखते ‘अमृत महोत्सव’ ऐसे कितने ही प्रेरणादायी अमृत बिंदुओं से भर जाएगा, और फिर ऐसी अमृत धरा बहेगी जो हमें भारत की आज़ादी के सौ वर्ष तक प्रेरणा देगी।देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगी, कुछ-न-कुछ करने का जज्बा पैदा करेगी। आज़ादी के लड़ाई में हमारे सेनानियों ने कितने ही कष्ट इसलिए सहे, क्योंकि, वो देश के लिए त्याग और बलिदान को अपना कर्तव्य समझते थे। उनके त्याग और बलिदान की अमर गाथाएँ अब हमेंसतत कर्तव्य पथ के लिए प्रेरित करे और जैसे गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है –

नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण:

उसी भाव के साथ, हम सब, अपने नियत कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करें और आज़ादी का ‘अमृत महोत्सव’ का मतलब यही है कि हम नए संकल्प करें। उन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए जी-जान से जुट जाएँ और संकल्प वो हो जो समाज की भलाई के हो, देश की भलाई के हो, भारत के उज्जवल भविष्य के लिए हो, और संकल्प वो हो, जिसमें, मेरा, अपना, स्वयं का कुछ-न-कुछ जिम्मा हो, मेरा अपना कर्तव्य जुड़ा हुआ हो। मुझे विश्वास है, गीता को जीने का ये स्वर्ण अवसर, हम लोगों के पास है।

मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता curfew शब्द सुना था। लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता curfew पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था।अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदहारण था, आने वाली पीढ़ियाँ इस एक बात को लेकर के जरुर गर्व करेगी। उसी प्रकार से हमारे कोरोना warriors के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना। आपको अंदाजा नहीं है कोरोना warriors के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरी साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे। देश के एक-एक नागरिक की जान बचाने के लिए जी-जान से जूझते रहे। पिछले साल इस समय सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी। साथियो, हम सबके लिए गर्व की बात है, कि आज भारत, दुनिया का, सबसे बड़ा vaccination programme चला रहा है।Vaccination Programme की तस्वीरों के बारे में मुझे भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला जी ने लिखा है। उनका कहना है कि घर के बड़े बुजुर्गों में वैक्सीन को लेकर जो उत्साह दिख रहा है, उसकी चर्चा मैं ‘मन की बात’ में करूँ।साथियो सही भी है, देश के कोने-कोने से, हम, ऐसीख़बरें सुन रहे हैं, ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं जो हमारे दिल को छू जाती हैं। यूपी के जौनपुर में 109 वर्ष की बुजुर्ग माँ, राम दुलैया जी ने टीका लगवाया है, ऐसे ही, दिल्ली में भी, 107 साल के, केवल कृष्ण जी ने,vaccine की dose ली है। हैदराबाद में 100 साल के जय चौधरी जी ने vaccine लगवाई और सभी से अपील भी है कि vaccine जरुर लगवाएँ। मैं Twitter-Facebook पर भी ये देख रहा हूँ कि कैसे लोग अपने घर के बुजुर्गों को vaccine लगवाने के बाद, उनकी फ़ोटो upload कर रहे हैं। केरल से एक युवा आनंदन नायर ने तो इसे एक नया शब्द दिया है – ‘vaccine सेवा’। ऐसे ही सन्देश दिल्ली से शिवानी, हिमाचल से हिमांशु औरदूसरे कई युवाओं ने भी भेजे हैं। मैं आप सभी श्रोताओं के इस विचारों की सराहना करता हूँ। इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए ‘दवाई भी – कड़ाई भी’।और सिर्फ मुझे बोलना है – ऐसा नहीं ! हमें जीना भी है, बोलना भी है, बताना भी है और लोगों को भी, ‘दवाई भी, कड़ाई भी’, इसके लिए, प्रतिबद्ध बनाते रहना है।

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे आज इंदौर की रहने वालीसौम्या जी का धन्यवाद करना है। उन्होंने, एक विषय के बारे में मेरा ध्यान आकर्षित किया है और इसका जिक्र ‘मन की बात’ में करने के लिए कहा है।ये विषय है – भारत की Cricketer मिताली राज जी का नया record। मिताली जी, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी हैं। उनकी इस उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई।One Day Internationals में सात हजार रन बनाने वाली भी वो अकेली अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं। महिला क्रिकेट के क्षेत्र में उनका योगदान बहुत शानदार है। दो दशकों से ज्यादा के career में मिताली राज जी ने हजारों-लाखों को प्रेरित किया है। उनके कठोर परिश्रम और सफलता की कहानी, न सिर्फ महिला क्रिकेटरों, बल्कि, पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी एक प्रेरणा है।

साथियो, ये दिलचस्प है, इसी मार्च महीने में, जब हम महिला दिवस celebrate कर रहे थे, तब कई महिला खिलाड़ियों ने Medals और Records अपने नाम किये हैं। दिल्ली में आयोजित shooting में ISSF World Cup में भारत शीर्ष स्थान पर रहा।Gold Medal की संख्या के मामले में भी भारत ने बाजी मारी। ये भारत के महिला और पुरुष निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन की वजह से ही संभव हो पाया। इस बीच, पी.वी.सिन्धु जी ने BWF Swiss Open Super 300 Tournament में Silver Medal जीता है। आज,Education से लेकर Entrepreneurship तक, Armed Forces से लेकर Science & Technology तक, हर जगह देश की बेटियाँ, अपनी, अलग पहचान बना रही हैं। मुझे विशेष ख़ुशी इस बात से है, कि, बेटियाँ खेलों में, अपना एक नया मुकाम बना रही हैं।Professional Choice के रूप में Sports एक पसंद बनकर उभर रहा है|

मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ समय पहले हुई Maritime India Summit आपको याद है ना ? इस Summit में मैंने क्या कहा था, क्या ये आपको याद है ? स्वाभाविक है, इतने कार्यक्रम होते रहते हैं, इतनी बातें होती रहती हैं, हर बात कहाँ याद रहती हैं और उतना ध्यान भी कहाँ जाता है – स्वाभाविक है। लेकिन, मुझे अच्छा लगा कि मेरे एक आग्रह को गुरु प्रसाद जी ने बहुत दिलचस्पी लेकर आगे बढ़ाया है। मैंने इस Summit में देश के Light House Complexes के आस-पास Tourism Facilities विकसित करने के बारे में बात की थी। गुरु प्रसाद जी ने तमिलनाडु के दो लाइट हाउसों-चेन्नई लाइट हाउस और महाबलीपुरम लाइट हाउस की 2019 की अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने बहुत ही रोचक facts share किये हैं जो ‘मन की बात’ सुनने वालों को भी हैरान करेंगे। जैसे, चेन्नई light house, दुनिया के उनचुनिन्दा light house में से एक है, जिनमें Elevator मौजूद है। यही नहीं, भारत का ये इकलौता light house है, जो शहर की सीमा के अन्दर स्थित है। इसमें, बिजली के लिए Solar Panel भी लगे हैं।गुरु प्रसाद जी ने light house के Heritage Museum के बारे में भी बात की, जो Marine Navigation के इतिहास को सामने लाता है।Museum में, तेल से जलने वाली बड़ी-बड़ी बत्तियाँ, kerosene lights,Petroleum Vapour और पुराने समय में प्रयोग होने वाले बिजली के Lamp प्रदर्शित किये गए हैं। भारत के सबसे पुराने light house – महाबलीपुरम light house के बारे में भी गुरु प्रसाद जी ने विस्तार से लिखा है। उनका कहना है कि इस light house के बगल में सैकड़ों वर्ष पहले, पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा बनाया गया ‘उल्कनेश्वरा’ Temple है।

साथियो, ‘मन की बात’ के दौरान, मैंने, पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर अनेक बार बात की है, लेकिन, ये light house, Tourism के लिहाज से unique होते हैं। अपनी भव्य संरचनाओं के कारण Light Houses हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में भी 71 (Seventy One)Light Houses Identify किये गए हैं। इन सभी light house में उनकी क्षमताओं के मुताबिक Museum, Amphi-Theatre, Open Air Theatre, Cafeteria, Children’s Park, Eco Friendly Cottages और Landscaping तैयार किये जाएंगे। वैसे,Light Houses की बात चल रही है तो मैं एक Unique Light House के बारे में भी आपको बताना चाहूँगा। ये Light house गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले में जिन्झुवाड़ा नाम के एक स्थान में है। जानते हैं, ये लाइट हाउस क्यों खास है ? खास इसलिए है क्योंकि जहाँ ये light house है, वहाँ से अब समुंद्र तट सौ किलोमीटर से भी अधिक दूर है। आपको इस गाँव में ऐसे पत्थर भी मिल जाएंगे, जो यह बताते हैं कि, यहाँ, कभी, एक व्यस्त बंदरगाह रहा होगा। यानि इसका मतलब ये है कि पहले Coastline जिन्झुवाड़ा तक थी। समंदर का घटना, बढ़ना, पीछे हो जाना, इतनी दूर चले जाना, ये भी उसका एक स्वरुप है। इसी महीने जापान में आई विकराल सुनामी को 10 वर्ष हो रहे हैं। इस सुनामी में हजारों लोगों की जान चली गई थी। ऐसी एक सुनामी भारत में 2004 में आई थी। सुनामी के दौरान हमने अपने light house में काम करने वाले, हमारे,14 कर्मचारियों को खो दिया था, अंडमान निकोबार में और तमिलनाडु में Light House पर वो अपनी ड्यूटी कर रहे थे। कड़ी मेहनत करने वाले,हमारे इन Light- Keepers को मैं आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ और light keepers के काम की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ।

प्रिय देशवासियो,जीवन के हर क्षेत्र में, नयापन, आधुनिकता, अनिवार्य होती है, वरना, वही, कभी-कभी, हमारे लिए बोझ बन जाती है।भारत के कृषि जगत में –आधुनिकता, ये समय की मांग है। बहुत देर हो चुकी है। हम बहुत समय गवां चुके हैं।Agriculture sector में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, परंपरागत कृषि के साथ ही, नए विकल्पों को, नए-नए innovations को, अपनाना भी, उतना ही जरूरी है।White Revolution के दौरान, देश ने, इसे अनुभव किया है। अब Bee farming भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है। Bee farming, देश में शहद क्रांति या sweet revolution का आधार बना रही है। बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं, innovation कर रहे हैं। जैसे कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक गाँव है गुरदुम। पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहाँ के लोगों ने honey bee farming का काम शुरू किया, और आज, इस जगह पर बने शहद की, मधु की, अच्छी मांग हो रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक organic honey तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है।ऐसा ही एक व्यक्तिगत अनुभव मुझे गुजरात का भी है। गुजरात के बनासकांठा में वर्ष 2016 में एक आयोजन हुआ था। उस कार्यक्रम में मैंने लोगों से कहा यहाँ इतनी संभावनाएं हैं, क्यों न बनासकांठा और हमारे यहाँ के किसान sweet revolution का नया अध्याय लिखें ? आपको जानकर खुशी होगी, इतने कम समय में, बनासकांठा, शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है। आज बनासकांठा के किसान honey से लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं।ऐसा ही एक उदाहरण हरियाणा के यमुना नगर का भी है। यमुना नगर में, किसान,Bee farming करके, सालाना, कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं, अपनी आय बढ़ा रहे हैं। किसानों की इस मेहनत का परिणाम है कि देश में शहद का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, और सालाना, करीब, सवा-लाख टन पहुँचा है, इसमें से, बड़ी मात्रा में, शहद, विदेशों में निर्यात भी हो रहा है।

साथियो,Honey Bee Farming में केवल शहद से ही आय नहीं होती, बल्कि beewax भी आय का एक बहुत बड़ा माध्यम है।Pharma industry, food industry, textile और cosmetic industry,हर जगह beewax की demand है। हमारा देश फिलहाल beewax का आयात करता है, लेकिन, हमारे किसान, अब ये स्थिति, तेजी से बदल रहे हैं। यानि एक तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद कर रहे हैं। आज तो पूरी दुनिया आयुर्वेद और Natural Health Products की ओर देख रही है। ऐसे में honey की माँग और भी तेजी से बढ़ रही है। मैं चाहता हूँ देश के ज्यादा-से-ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ bee farming से भी जुड़ें। ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो,अभी कुछ दिन पहले World Sparrow Day मनाया गया।Sparrow यानि गोरैया। कहीं इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहींघान चिरिका कहा जाता है। पहले हमारे घरों की दीवारों पर, आस-पास के पेड़ों पर गोरैया चहकती रहती थी। लेकिन अब लोग गोरैया को ये कहकर याद करते हैं कि पिछली बार, बरसों पहले, गोरैया देखा था। आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं। मेरे बनारस के एक साथी इंद्रपाल सिंह बत्रा जी ने ऐसा काम किया है जिसे मैं, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को जरूर बताना चाहता हूं। बत्रा जी ने अपने घर को ही गोरैया का आशियाना बना दिया है। इन्होंने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए जिनमें गोरैया आसानी से रह सके। आज बनारस के कई घर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। इससे घरों में एक अद्भुत प्राकृतिक वातावरण भी बन गया है। मैं चाहूँगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें भी करने चाहिए। जैसे एक साथी हैं बिजय कुमार काबी जी। बिजय जी ओड़िशा के केंद्रपाड़ा के रहने वाले हैं। केंद्रपाड़ा समुंद्र के किनारे है। इसलिए इस जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिन पर समुंद्र की ऊँची लहरों और Cyclone का खतरा रहता है। इससे कई बार बहुत नुकसान भी होता है। बिजय जी ने महसूस किया कि अगर इस प्राकृतिक तबाही को कोई रोक सकता है तो वो प्रकृति ही रोक सकती है। फिर क्या था – बिजय जी ने, बड़ाकोट गांव से अपना मिशन शुरू किया। उन्होंने 12 साल। साथियों 12 साल, मेहनत करके, गांव के बाहर, समुन्द्र की तरफ 25 एकड़ का mangrove जंगल खड़ा कर दिया।आज ये जंगल इस गाँव की सुरक्षा कर रहा है।ऐसा ही काम ओडिशा के ही पारादीप जिले में एक इंजीनियर अमरेश सामंत जी ने किया है।अमरेश जी ने छोटे छोटे जंगल लगाए हैं, जिनसे आज कई गांवों का बचाव हो रहा है।साथियो,इस तरह के कामों में, अगर हम, समाज को साथ जोड़ लें, तो बड़े परिणाम आते हैं।जैसे, तमिलनाडु के कोयम्बटूर में बस कन्डक्टर का काम करने वाले मरिमुथु योगनाथन जी हैं। योगनाथान जी, अपनी बस के यात्रियों को टिकट देते हैं, तो साथ में ही एक पौधा भी मुफ्त देते हैं।इस तरह योगनाथन जी न जाने कितने ही पेड़ लगवा चुके हैं।योगनाथन जी अपने वेतन का काफी हिस्सा इसी काम में खर्च करते आ रहे हैं।अब इसको सुनने के बाद ऐसा कौन नागरिक होगा जो मरिमुथु योगनाथन जी के काम की प्रशंसा न करे।मैं हृदय से उनके इस प्रयासों को बहुत बधाई देता हूँ, उनके इस प्रेरक कार्य के लिए।

मेरे प्यारे देशवासियो, Waste से Wealth यानी कचरे से कंचन बनाने के बारे में हम सबने देखा भी है, सुना भी है, और हम भी औरों को बताते रहते हैं। कुछ उसी प्रकार से Waste को Value में बदलने का भी काम किया जा रहा है।ऐसा ही एक उदाहरण केरल के कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज का है।मुझे याद है कि 2017 में, मैं इस कॉलेज के कैंपस में, एक Book Reading पर आधारित कार्यक्रम में शामिल हुआ था।इस कॉलेज के स्टूडेंट्स Reusable Toys बना रहे हैं, वो भी बहुत ही creative तरीके से।ये students पुराने कपड़ों, फेंके गए लकड़ी के टुकड़ों, bag और Boxes का इस्तेमाल खिलौने बनाने में कर रहे हैं।कोई विद्यार्थी Puzzle बना रहा है तो कोई car और train बना रहा है।यहां इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि खिलौने Safe होने के साथ-साथ Child Friendly भी हों। और इस पूरे प्रयास की एक अच्छी बात ये भी है कि ये खिलौने आंगनबाड़ी बच्चों को खेलने के लिए दिए जाते हैं।आज जब भारत खिलौनों की Manufacturing में काफी आगे बढ़ रहा है तो Waste से Value के ये अभियान, ये अभिनव प्रयोग बहुत मायना रखते हैं।

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक प्रोफेसर श्रीनिवास पदकांडला जी है। वे बहुत ही रोचक कार्य कर रहे हैं। उन्होंने Automobile Metal Scrap से Sculptures (स्कल्पचर्स) बनाएहैं।उनके द्वारा बनाए गए ये विशाल Sculptures सार्वजानिक पार्कों में लगाये गये हैं और लोग उन्हें बहुत उत्साह से देख रहे हैं। Electronic और Automobile Waste की Recycling का यह एक अभिनव प्रयोग है।मैं एक बार फिर कोच्चि और विजयवाड़ा के इन प्रयासों की सराहना करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि और लोग भी ऐसे प्रयासों में आगे आएंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, भारत के लोग दुनिया के किसी कोने में जाते हैं तो गर्व से कहते हैं कि वो भारतीय हैं। हम अपने योग, आयुर्वेद, दर्शन न जाने क्या कुछ नहीं है हमारे पास जिसके लिए हम गर्व करते हैं गर्व की बाते करते हैं साथ ही अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनाव, खान-पान उसका भी गर्व करते हैं।हमें नया तो पाना है, और वही तो जीवन होता है लेकिन साथ-साथ पुरातन गँवाना भी नहीं है। हमें बहुत परिश्रम के साथ अपने आस-पास मौजूद अथाह सांस्कृतिक धरोहर का संवर्धन करना है, नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।यही काम, आज, असम के रहने वाले ‘सिकारी टिस्सौ’ बहुत ही लगन के साथ कर रहे है। Karbi Anglong जिले के ‘सिकारी टिस्सौ’ जी पिछले 20 सालों से Karbi भाषा का documentation कर रहे हैं।किसी ज़माने में किसी युग में ‘कार्बी आदिवासी’ भाई बहनों की भाषा ‘कार्बी’आज मुख्यधारा से गायब हो रही है।श्रीमान ‘सिकारी टिस्सौ’ जी ने तय किया था कि अपनी इस पहचान को वो बचाएंगे, और आज उनके प्रयासों से कार्बी भाषा की काफी जानकारी documented हो गई है।उन्हें अपने इस प्रयासों के लिए कई जगह प्रशंसा भी मिली है, और award भी मिले हैं।‘मन की बात’ के द्वारा श्रीमान ‘सिकारी टिस्सौ’ जी को मैं तो बधाई देता ही हूँ लेकिन देश के कई कोने में इस प्रकार से कई साधक होंगे जो एक काम लेकर के खपते रहते होंगे मैं उन सबको भी बधाई देता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियों,कोई भी नई शुरुआत यानी New Beginning हमेशा बहुत ख़ास होती हैं।New Beginning का मतलब होता है New Possibilities – नए प्रयास।और, नए प्रयासों का अर्थ है – नई ऊर्जा और नया जोश।यही कारण है कि अलग- अलग राज्यों और क्षेत्रों में एवं विविधता से भरी हमारी संस्कृति में किसी भी शुरुआत को उत्सव के तौर पर मनाने की परंपरा रही है।और यह समय नई शुरुआत और नए उत्सवों के आगमन का है।होली भी तो बसंत को उत्सव के तौर पर ही मनाने की एक परंपरा है।जिस समय हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय, बसन्त भी, हमारे चारों ओर नए रंग बिखेर रहा होता है। इसी समय फूलों का खिलना शुरू होता है और प्रकृति जीवंत हो उठती है।देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जल्द ही नया साल भी मनाया जाएगा।चाहे उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा हो या बिहू, नवरेह हो या पोइला, या फिर बोईशाख हो या बैसाखी- पूरा देश, उमंग, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर दिखेगा।इसी समय, केरल भी खूबसूरत त्योहार विशु मनाता है।इसके बाद, जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आ जाएगा।चैत्र महीने के नौवें दिन हमारे यहाँ रामनवमी का पर्व होता है। इसे भगवान राम के जन्मोत्सव के साथ ही न्याय और पराक्रम के एक नए युग की शुरुआत के रूप में भी मना जाता है।इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ ही भक्तिभाव से भरा माहौल होता है, जो लोगों को और करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है।इन त्योहारों के अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूँ।

साथियो,इस दौरान 4 अप्रैल को देश ईस्टर भी मनाएगा।Jesus Christ के पुनर्जीवन के उत्सव के रूप में ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है। प्रतीकात्मक रूप से कहें तो ईस्टर जीवन की नई शुरुआत से जुड़ा है।ईस्टर उम्मीदों के पुनर्जीवित होने का प्रतीक है।

On this holy and auspicious occasion, I greet not only the Christian Community in India, but also Christians globally.

मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में हमने ‘अमृत महोत्सव’ और देश के लिए अपने कर्तव्यों की बात की।हमने अन्य पर्वों और त्योहारों पर भी चर्चा की।इसी बीच एक और पर्व आने वाला है जो हमारे संवैधानिक अधिकारों, और कर्तव्यों की याद दिलाता है।वो है 14 अप्रैल – डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती।इस बार ‘अमृत महोत्सव’ में तो ये अवसर और भी ख़ास बन गया है।मुझे विश्वास है, बाबा साहेब की इस जन्म जयंती को हम जरूर यादगार बनाएँगे, अपने कर्तव्यों का संकल्प लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।इसी विश्वास के साथ, आप सभी को पर्व त्योहारों की एक बार फिर शुभकामनाएँ।आप सब खुश रहिए, स्वस्थ रहिए, और खूब उल्लास मनाइए। इसी कामना के साथ फिर से याद कराता हूँ ‘दवाई भी – कड़ाई भी’।बहुत बहुत धन्यवाद।

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