होलाष्टक— रविवार से प्रारंभ, न करें आठ दिन शुभ कार्य आरंभ
भोपाल। आज यानि रविवार से आठ दिन के लिए होलाष्टक प्रारंभ हो गए। इनमें सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। इस बार 21 से 28 मार्च तक होलाष्टक रहेगा।
पंडितों के अनुसार होलाष्टक में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं। इन ग्रहों के उग्र रहने के चलते मनुष्य के निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। इस कारण होलाष्टक के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
कथाओं के अनुसार हिरण्य कश्यप ने अपने पुत्र भक्त प्रहलाद की भक्ति को भंग करने के लिए इन आठ दिनों में उन्हें तमाम तरह की यातनाएं दी थीं। इसलिए कहा जाता है कि होलाष्टक के इन आठ दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक में ये कार्य वर्जित
होलाष्टक में विवाह, वाहन खरीद, घर खरीद, भूमि पूजन, व्यापार शुरू करना, मुंडन आदि मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है।
यह करें इन दिनों
इन दिनों पूजा पाठ करने और भगवान का भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ भी प्राप्त होते हैं। मनुष्य को होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन का पाठ करना चाहिए। इससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज से मुक्ति मिलती है। इन आठ दिनों के दौरान भगवान नरसिंह और भगवान हनुमान के पूजा पाठ का भी विशेष महत्व है।