नहीं रहे लोकजीवन के चितेरे बटुक चतुर्वेदी
भोपाल। अपनी रचनाओं में लोकगीतों— सी सहजता और आत्मीयता से श्रोताओं और पाठकों से जीवंत रिश्ते बनाने में निपुण, बुंदेली लोकजीवन के चितेरे सृजनकार बटुक चतुर्वेदी नहीं रहे। उनके निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और साहित्य जगत से जुडे तमाम लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
विदिशा के डंडापुरा में बचपन बिताने वाले बटुक चतुर्वेदी यहां के चिंताामणि गणेश मंदिर के पुजारी परिवार के हैं। वे ताउम्र नए कवियों— साहित्यकारों को गढने का काम करते रहे। ऐसे रचनाधर्मियों की संख्या हजारों में है, जिन्हे निखारने में उनका योगदान रहा है। स्व. चतुर्वेदी जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्व. श्री बटुक चतुर्वेदी ने लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। मध्यप्रदेश की आंचलिक संस्कृति पर उन्होंने निरंतर लिखा। उन्होंने साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से राजधानी में लेखकों को और पाठकों को जोड़ने का कार्य किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ईश्वर से दिवंगत स्व. चतुर्वेदी की आत्मा की शांति और उनके शोकाकुल परिजन को यह दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
प्रदेश के गृहमंत्री डौ नरोत्तम मिश्रा ने अपने शोक संदेश में कहा कि राष्ट्रवादी रचनाओं से काव्यमंच पर सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने वाले प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार श्री बटुक चतुर्वेदी जी के निधन की दुखद सूचना मिली है। ईश्वर से दिवंगत पुण्यात्मा की शांति और उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को यह दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।