मध्यप्रदेश— सिंघोरी अभ्यारण्य के संरक्षित क्षेत्र में तेंदूपत्ता की शाख कतरन

बाडी—औबेदुल्लागंज। मध्यप्रदेश के वन विभाग का औबेदुल्लागंज वन मंडल वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण से अधिक इनके नुकसान के लिए सुखिर्यों में रहा है। इस वन मंडल के सिंघौरी अभ्यारण्य में वन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से संरक्षित क्षेत्र में तेंदूपत्ता की शाख कतरन हो रही है। नियमानुसार तेदूपत्ता संबंधी काम संरक्षित क्षेत्र में नहीं हो सकता।

‘शुभ चौपाल’ संवाददाता ने सिंघौरी अभ्यारण्य के संरक्षित क्षेत्र में हो रहे तेंदूपत्ता की शाख कतरन का स्वयं जायजा लिया। इस बीच इस काम में लगे लोगों से और और गांवों के लोगों से चर्चा की तो पता चला कि विभागीय सांठगांठ से ही संरक्षित वनों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

क्या है शाख कतरन
मध्यप्रदेश के वनों में तेंदू के पेड बहुतायत में हैं और और वनोपज के रूप में तेंदूपत्ता की बिक्री की जाती है। तेंदूपत्ता का उपयोग बीडी बनाने में किया जाता है। इसके लिए कुछ समय पहले तेंदू के पेडों की पतली शाखें काटी जाती हैं, जिससे अधिक मात्रा और अच्छी गुणवत्ता का तेंदूपत्ता मिल सके। यह संरक्षित वन क्षेत्र में नहीं किया जा सकता।

यहां आकर बात करो
सिंघोरी अभ्यारय के अधीक्षक संपर्क से बाहर रहे। इस संबंध में जब अभ्यारण्य के बम्होरी परिक्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी महेंद्र पालेचा से मोबाइल पर संपर्क करके इस संबंध में उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होने मोबाइल पर कुछ कहने की जगह ‘फेस—टू—फेस’ मिलने को कहा। इनका कहना था कि वे आमने— सामने ही बात करते हैं। इस संबंध में विभागीय सूत्रों ने कहा कि बालेचा कई गंभीर आरोपों से जूझ रहे हैं। इसलिए वे विभागीय बात मोबाइल पर करने से परहेज करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि पत्रकारों को समाचार से ज्यादा दूरी विभाग के इस अधिकारी से बात करने के लिए नापनी होगी

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