बना रहे पक्के मकान, लंबी लडाई के लिए किसानों की चल रही तैयारी

नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए आंदोलनरत किसानों के मोर्चा छोडने की उम्मीद करने वालों को शायद निराशा ही हाथ लगेगी। सच तो यह है कि यह आंदोलन इतना व्यापक हो चुका है कि कुछ समूहों के हट जाने से भी अब इस पर अधिक फर्क नहीं पडेगा। लंबी लडाई के लिए तैयार किसानों ने अब दिल्ली की सीमा पर पक्के मकान भी बनाना शुरु कर दिए हैं।

आंदोलनकारी किसान गर्मी और इसके बाद बारिश के मौसम में भी दिल्ली की सीमा पर डटे रहने के लिए ईंट— सीमेंट से पक्के मकान बना रहे हैं। यहां पंखों से लेकर एसी तक सभी व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं। किसान इस बात के लिए दृढ संकल्पित दिख रहे हैं कि कानूनों की वापसी तक उनकी लडाई जारी रहेगी।

एक समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार किसान सोशल आर्मी टिकरी बॉर्डर पर ईंट-सीमेंट से पक्के मकान की तरह अपने आशियाने को बना रहे हैं। उनका मानना है कि क्योंकि किसान आंदोलन लंबा चलेगा, इसलिए उन्होंने ईंट-सीमेंट से परमानेंट शेल्टर का निर्माण किया है।

किसान सोशल आर्मी के अनिल मलिक ने कहा, ये घर किसानों की इच्छाशक्ति के जैसे ही मजबूत और परमानेंट हैं। अब तक 25 घर बनाए गए हैं और आने वाले दिनों में ऐसे 1000 से 2000 घरों का निर्माण किया जाएगा। टिकरी बॉर्डर पर जो घर बनाए गए हैं, वह एक आम कमरे की तरह हैं। इसमें कूलर और पंखे के साथ-साथ खिड़की की व्यवस्था भी की गई है। हालांकि, घरों की छत की सीमेंट-बालू से ढलाई नहीं हुई है, बल्कि ऊपर पराली और घास-फूस की छत बिछाई गई है, ताकि गर्मी से राहत मिले।

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