महाशिवरात्रि— दुर्लभ प्राप्तियों का अवसर

—शुभ चौपाल विशेष—
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि पर्व की विशेष पर्व माना जाता है। यह शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। मान्यता है कि शिवरात्रि की महारात्रि में देवाधिदेव शिव और शक्ति माता पार्वती के मिलन की रात होती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन 64 शिवलिंग के रूप में महादेव संसार में प्रकट हुए थे। अभी तक हमें 12 शिवलिंगों का ही ज्ञान है, जिन्हे 12 ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। श्रद्धापूर्वक प्रार्थना से ऐसी महान रात्रि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्रदाता होती है। इस रात्रि में प्रत्येक कामना पूर्ण हो जाती है। महादेव को भोले भंडारी भी कहा जाता है। अपने भक्तों पर वे बिना विशेष आराधना के ही भरपूर कृपा करते हैं। कहा जाता है कि शिव के समान दाता सृष्टि में कोई नहीं है।

इस बार महाशिवरात्रि गुरुवार 11 मार्च 2021 को है। इस बार शिवरात्रि पर बुध राशि परिवर्तन कर रहे हैं। मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध राशि परिवर्तन कर रहे हैं। बुध शनि की राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग भी शिवरात्रि के योग को और अधिक महत्वपूर्ण बना रहा है। इस साल महाशिवरात्रि पर 101 साल बाद यह विशेष संयोग बनने जा रहा है। इस साल यह पर्व त्रयोदशी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी में भी है। इसका मुहूर्त कुल 23 घंटों का रहने वाला है। नक्षत्र धनिष्ठा येाग 11 मार्च को रात्रि को 09 बजकर 45 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जाएगा जो शिवरात्रि के दिन शिव योग अर्थात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लगने वाला है।

कैसे करें प्रसन्न?
महादेव की आराधना की अनेक विधियां हैं। शास्त्रों की सीमा से वह परे हैं। अपने अनुभव के आधार पर हम कहना चाहेंगे कि पवित्र भाव से अपनी उपासना पद्धति से पूजा— अर्चना करें। मनचाहे मंत्रों— स्तुतियों से उनका स्मरण करें। और यह सब न भी कर सकें तो मध्यरात्रि के बाद श्रद्धा सहित अपने शब्दों में प्रार्थना करें। ‘ॐ नमः शिवाय’।

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