बच्चों के कोरोना टीका भारत में अक्टूबर तक

नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कहना है कि वह अक्तूबर तक बच्चों के लिए टीका तैयार कर लेगी। कंपनी के आयात-निर्यात निदेशक पीसी नांबियार ने कहा कि यह वैक्सीन बच्चों को उनके जन्म के एक महीने के भीतर लगाई जाएगी। साथ ही कंपनी इसी वैक्सीन को आगे एक दवा के रूप में विकसित करेगी ताकि यदि बच्चे कोरोना से संक्रमित हों तो उन्हें यह दी जा सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि जल्द ही भारत बायोटेक को भी 5-18 वर्ष की आयु के बच्चों पर कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण करने की अनुमति मिल सकती है। हाल में जारी हुए वयस्कों पर वैक्सीन के प्रभाव का डाटा इसकी 83 प्रतिशत प्रभावशीलता दिखाता है।

कोविड-19 टीका बनाने वाली अमेरिका की दो कंपनियां फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना 12 से 15 साल तक की आयु वाले बच्चों पर तीसरे चरण का परीक्षण कर रही हैं। इन कंपनियों के परीक्षण का शुरुआती डाटा जून-जुलाई तक आने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि डाटा उपलब्ध होते ही कंपनियां सरकार से टीके के आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन करेंगी। अनुमति मिलते ही बच्चों का टीकाकरण शुरू हो जाएगा।

जानकारी के अनुसार एक खुराक वाला कोविड-19 का टीका बनाने वाली जॉनसन एंड जॉनसन भी बच्चों के लिए टीका निर्माण की दौड में शामिल हो गई है। कंपनी परीक्षण के लिए जल्द ही बच्चों का चयन शुरू करेगी।

ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका ने भी फरवरी में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है। इस ट्रायल के लिए ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी को स्वेच्छा से वैक्सीन लगवाने वाले छह से 17 साल आयु वर्ग के 300 बच्चों की जरूरत है। इनमें से 240 को कोविड-19 का जबकि बाकी 60 को मेनिनजाइटिस का टीका लगाया जाएगा।

गर्भवतियों के लिए भी वैक्सीन जल्द
अमेरिका की टीका निर्माता कंपनियां फाइजर-बायोएनटेक ने ऐलान किया है कि साल की चौथी तिमाही तक गर्भवतियों पर टीके के ट्रायल का डाटा जारी हो जाएगा। ये कंपनी चार हजार स्वस्थ गर्भवती महिलाओं पर टीके का परीक्षण शुरू करेगी जो अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और स्पेन की 18 या उससे ज्यादा उम्र की गर्भवती महिलाओं पर किया जाएगा।

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