सर्वोच्च न्यायालय ने कहा—सरकार से अलग विचार रखना देशद्रोह नहीं है, फारूक अब्दुल्ला पर कार्यवाही की याचिका खारिज

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार से अलग विचार रखना देशद्रोह नहीं है। बुधवार को संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने पर टिप्पणी के लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की गई।

रजत शर्मा और डॉ नेह श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि अब्दुल्ला ने लाइव बयान दिया कि अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए वह चीन से मदद लेंगे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पूर्व सीएम कश्मीर को चीन को “सौंपने” की कोशिश कर रहे हैं और इस तरह, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। “श्री फारूक अब्दुल्ला एक राष्ट्रीय राजद्रोही हैं और जम्मू-कश्मीर के निर्दोष लोगों के मन में राष्ट्र विरोधी विचारों का प्रचार कर रहे हैं और इसलिए किसी राष्ट्र-विरोधी बयान देने वाले व्यक्ति को संसद सदस्य के रूप में जारी नहीं रखना चाहिए और वह संसद की सदस्यता से हटाए जाने के हकदार हैं।” न्यायमूर्ति किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने मामले को खारिज कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता उपरोक्त आरोपों को प्रमाणित करने में विफल रहे।

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