मध्यप्रदेश— रायसेन की बाडी जनपद पंचायत में संदेह के दायरे में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा
रायसेन। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा का गठन ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत के निर्माण कार्यों के संपादन एवं त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं द्वारा संपादित किये जा रहे समस्त निर्माण कार्यों पर तकनीकी सलाह एवं तकनीकी नियंत्रण के लिए म.प्र. शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत किया गया है। रायसेन जिले की जनपद पंचायत बाडी में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ‘सेवा शुल्क’ के हिसाब से पंचायतों के कामों के मूल्यांकन को लेकर संदेह के दायरे में है।
‘शुभ चौपाल’ ने माह अप्रेल 2020 से अभी तक जनपद पंचायत की करीब दो दर्जन ग्राम पंचायतों में हुए कामों का जायजा लिया। इनमें से अधिकांश ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जिनमें नियम विरूद्ध ठेकेदारों से निर्माण कार्य कराए गए हैं। ग्राम पंचायतों ने ऐसे ठेकेदारों को सामग्री खरीदने के नाम पर भुगतान किया है। पंचायतों द्वारा इस अवधि में किए गए भुगतान का परीक्षण करने पर यह बात साफ हो जाती है। ऐसे भुगतान के बिलों में दर्ज पतों पर संपर्क करने पर बताया गया कि ऐसे लोग मटेरियल सप्लायर न होकर पंचायतों में ठेकेदारी करते हैं, जबकि ठेकेदारों से काम कराने का कोई प्रावधान नहीं है। पंचायत के किसी भी अभिलेख में ठेकेदार से काम कराने का कोई उल्लेख भी नहीं है।
‘कमीशन’ के आधार पर ठेका
इन पंचायतों के लोगों से ‘शुभ चौपाल’ ने चर्चा की तो उन्होने विस्तार से जानकारी दी। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच— सचिव कमीशन के आधार पर काम का ठेकदार को ठेका दे देते हैं। इसका मतलब समझाते हुए गांव के लोगों ने बताया कि जितनी राशि का काम होता है, उसकी कितनी प्रतिशत रकम सरपंच— सचिव को दी जाएगी, यह ‘कमीशन’ कहलाती है। बताया गया कि जो ठेकेदार सरपंच— सचिव को अधिक कमीशन देते हैं, उन्हे काम का ठेका दे दिया जाता है। यह सब बिना किसी कागजी लिखा— पढी के होता है। ठेकेदार कम से कम लागत में काम समेट देते हैं। यह काम इतना घटिया होता है कि इस बात को समझने के लिए किसी जांच— पडताल की भी आवश्यकता नहीं होती।
‘सेवा शुल्क’ मूल्यांकन का आधार
इस संबंध में जानकारी जुटाई गई तो पता चलता है कि ठेकेदार की जिम्मेदारी कामों का मूल्यांकन कराने तक की होती है। इसके लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के लिए पहले ही ‘सेवा शुल्क’ सुरक्षित रखा जाता है। बाडी जनपद पंचायत के सूत्रों ने बताया कि ‘सेवा शुल्क’ काम के आधार पर तय होता है। यानि जितना घटिया काम होगा, उतना अधिक ‘सेवा शुल्क’ ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के इंजीनियर मूल्यांकन के बदले लेते हैं।
इनके बदले ‘सेवा शुल्क’
— निर्माण कार्य में निर्धारित सामग्री से बहुत कम सामग्री का उपयोग।
— निर्माण कार्य तकनीकी स्वीकृति के अनुरूप न होना।
— नाप— तौल में गडबडी।