संपादकीय— गंभीरता से विचार करे सरकार
पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने देशभर में हडकंप मचा रखा है। यह अधिक इसलिए कि कोरोना महामारी से अभी तक जनसामान्य उबर नहीं पाया है। कोरोना विषाणु के संक्रमण में एक बार फिर उछाल देखी जा रही है। ऐसे में भी आवश्यक जीवनोपयोगी सामान की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं। यह स्थितियां आम जिंदगी को और अधिक मुश्किल बना रही हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों का सीधा असर यात्रा, सामान के परिवहन, खेती और प्रकारान्तर से अधिकांश गतिविधियों पर होता है।
देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि का सबसे बडा कारण जीएसटी सहित अन्य कर हैं। करों के बोझ ने इनकी कीमत दोगुनी से भी अधिक कर दी है। केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं। अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 फीसद से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं। इन दोनों की दरें इतनी ज्यादा है कि 35 रुपये का पेट्रोल राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझावों पर अगर जीएसटी परिषद अमल करती है तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आधी हो सकती हैं। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार उनका मंत्रालय जीएसटी परिषद से पेट्रोलियम उत्पादों को अपने दायरे में शामिल करने का लगातार अनुरोध कर रहा है, क्योंकि इससे लोगों को फायदा होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कुछ ऐसे ही संकेत दे चुकी हैं।
माना जा रहा है कि राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार नहीं हैं। इसके पीछे राज्यों के अपने हित और तर्क हो सकते हैं। लेकिन जनता की परेशानी को कम करना केंद्र और राज्य दोनों का विषय है, इसमें कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है। 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था। उस समय राज्यों की उच्च निर्भरता के कारण पेट्रोल और डीजल को इससे बाहर रखा गया था। जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पादों को शामिल किया जाता है, तो देश भर में ईंधन की एक समान कीमत होगी। केंद्र सरकार को इस संबंध में आवश्यक पहल करके पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रित करना चाहिए। यह सही है कि देश की संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के बीच दायित्व तथा अधिकारों का विभाजन है। लेकिन सही यह भी है कि जब देशभर के लोग किसी बात को लेकर परेशान हों तो केंद्र सरकार की यह जिम्मेदारी भी हो जाती है कि वह संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए जनता को राहत पहुंचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
– याज्ञवल्क्य
(स. ना. याज्ञवल्क्य)
संपादक
—शुभ चौपाल—
वर्ष—3, अंक—29
……………………..