नर्मदा जयंती (19फरवरी) पर विशेष— पुण्य सलिला मां नर्मदा का नहीं रुक रहा शोषण
देवेश ठाकुर ‘जीसाहब’
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बरेली। जन— मन से लेकर इस क्षेत्र के कण— कण में समाई पुण्य सलिला मां नर्मदा का बेरहमी से हो रहा शोषण रुकने का नाम नहीं ले रहा। रेवा के पुण्य तटों का स्वरूप दिनोदिन और अधिक विकृत होता जा रहा है और नर्मदा की रेत के अवैध कारोबारियों तथा इसमें हिस्सेदार बने अधिकारियों व नेताओं की माली हालत लगातार मजबूत हो रही है।
ऐसा नहीं है कि निर्माण कार्यों के लिए नर्मदा रेत का उपयोग हाल ही में शुरु हुआ है। नर्मदा तटों पर रहने वाले बुजुर्ग बताते हैं कि अपनी जरूरतों के लिए लोग हमेशा से नर्मदा की रेत ले जाते रहे हैं, लेकिन यह कारोबार जैसा नहीं था। बाद में कुछ लोग अपने वाहनों से दूसरे गांव में जाकर रेत बेचने लगे, लेकिन तब भी यह मामूली स्तर पर होता था। इससे लोगों को अपने ही गांव में रेत मिल जाती थी और नर्मदा किनारे के कुछ लोगों को खेती से हटकर काम मिल जाता था, जिससे उनकी जरूरतें पूरी हो जाती थीं। अब रायसेन जिले के बरेली, बाडी, उदयपुरा और देवरी क्षेत्र में नर्मदा की रेत का अवैध कारोबार बहुत बडे कारोबारों में शामिल हो गया है।
रातदिन ढुलती है रेत
नर्मदा तटों के गांवों के साथ ही यह बात अधिकारियों और नेताओं को छोडकर सभी को पता है कि नर्मदा की रेत रातदिन मशीनों से निकाली जा रही है और आमतौर पर बिना नंबर के डंपरों तथा ट्रेक्टर— ट्राली से ढुलती रहती है। सभी को यह भी पता है कि रेत का करोडों रुपयों का अधिकांश कारोबार अवैध रूप से ही संचालित हो रहा है।
मिलकर करना होंगे प्रयास
नर्मदा की रेत के अवैध कारोबार के खिलाफ क्षेत्र के जागरुक लोग लगातार ध्यान आकर्षित कराते आ रहे हैं, लेकिन काली कमाई के चलते इसे रोकने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। पटेल युद्धवीर सिंह उन लोगों में शामिल हैं, जो मां नर्मदा के मूल स्वरूप की रक्षा के लिए लगातार काम करते रहते हैं। वे कहते हैं कि पचासों ज्ञापनों और अधिकारियों के ध्यानाकर्षण के बाद भी प्रभावी परिणाम सामने नहीं आ रहे। नर्मदा मैया की खातिर हम सबको मिलकर प्रयास करते रहना होगा।