मध्यप्रदेश— औबेदुल्लागंज वन मंडल में कैम्पा के कामों में करोडों के घोटाले को दबाने के प्रयास, जांच के नाम पर लीपापोती
—शुभ चौपाल संवाददाता—
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औबेदुल्लागंज। प्रदेश के औबेदुल्लागंज वन मंडल में सुर्खियों में रहे करोडों रुपयों के कैम्पा के कामों में हुए घोटाले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह घोटाला वित्तीय वर्ष 2019— 20 के दौरान हुआ है। विभागीय अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती करके नाममात्र को हुए अथवा अत्यंत घटिया स्तर के हुए कामों को सही साबित करने में लगे हुए हैं। इस क्रम में जांच के समय शिकायतकर्ताओं की फर्जी मौजूदगी और संतुष्टि दिखाने की बातें भी सामने आ रही हैं।
औबेदुल्लागंज वन मंडल में 10 वन परिक्षेत्र हैं। इनमें से गौहरगंज, चिकलोद, सुल्तानपुर, बिनेका, बरखेडा, देलावाडी, बाडी और बम्होरी में वित्तीय वर्ष 2019— 20 में व्यापक स्तर पर काम हुए थे। शिकायतें हैं कि विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों से सांठगांठ करके इन कामों में करोडों रुपयों के घोटाले किए थे। तब से लगातार उच्च स्तरीय जांच की मांग की जाती रही है। सामने आई जानकारी बताती है कि विभागीय अधिकारी जांच में भी घोटाला कर रहे हैं। शिकायतकर्ताओं की फर्जी मौजूदगी भी जांच अधिकारियों ने दिखाने के कारनामे किए हैं।
क्या है कैम्पा
राज्यों में क्षतिपूरक वनीकरण के लिये एकत्र धनराशि का राज्यों द्वारा अल्प उपयोग किये जाने संबंधी शुरूआती अनुभव के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2001 में क्षतिपूरक वनीकरण कोष एवं क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund and Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority-CAMPA) की स्थापना का आदेश दिया। वर्ष 2006 में पृथक बैंक खाते खोले गए और क्षतिपूरक लेवी उनमें जमा कराई गई तथा क्षतिपूरक वनीकरण कोष के प्रबंधन के लिये तदर्थ कैम्पा की स्थापना की गई। वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों/ संघशासित प्रदेशों को क्षतिपूरक वनीकरण तथा अन्य गतिविधियों के लिये प्रति वर्ष 1000 करोड़ रुपए की राशि जारी करने की
अनुमति दी। प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAF) नियमों की अधिसूचना जारी
होने के बाद 28 जनवरी 2019 को सर्वोच्च न्यायालय की मंज़ूरी से तदर्थ कैम्पा से 54,685 करोड़ रुपए की राशि भारत सरकार के नियंत्रण में लाई गई। इस राशि का उपयोग प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम एवं प्रतिपूरक वनीकरण निधि नियमों के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है। अपेक्षा रहती है कि सभी राज्य इस धनराशि का उपयोग वन और वृक्षों का आवरण बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वानिकी कार्यकलापों में करेंगे, जिससे वर्ष 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समान अतिरिक्त कार्बन सिंक (यानी वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण) होगा। कैम्पा कोष का उपयोग वेतन के भुगतान, यात्रा भत्ते, चिकित्सा व्यय आदि के लिए नहीं किया जा सकता है।
इन गतिविधियों में उपयोग
जिन महत्त्वपूर्ण गतिविधियों पर इस धन का उपयोग किया जाएगा उनमें- क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण क्षेत्र का उपचार, वन्यजीव प्रबंधन, सहायता प्राप्त प्राकृतिक सम्पोषण, वनों में लगने वाली आग की रोकथाम और उस पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयों, वन में मृदा एवं आद्रता संरक्षण कार्य, वन्य जीव पर्यावास में सुधार, जैव विविधता एवं जैव संसाधनों का प्रबंधन, वानिकी में अनुसंधान तथा कैम्पा कार्यों की निगरानी आदि शामिल हैं।
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———— शुभ चौपाल ————
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