पंजाब के निकाय चुनाव में कांगेस की जबरदस्त जीत, आप और भाजपा का सूपड़ा साफ

चंडीगढ़। पंजाब के सात नगर निगमों में से छह में प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने जीत हासिल की है वहीं सातवें नगर निगम में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। पार्टी ने शहरी निकाय के चुनावों में विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया है। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के बीच नगर निगमों के प्रदेश में हुए चुनाव में कांग्रेस ने बठिंडा, होशियारपुर, कपूरथला, अबोहर, बटाला और पठानकोट में जबरदस्त जीत दर्ज की है। हालांकि, मोगा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और बहुमत से वह 6 सीट पीछे रह गई है।

एक अन्य नगर निगम के लिए मतों की गिनती का काम गुरुवार को होगा। इसके अलावा 109 नगर परिषद के चुनाव परिणाम भी आने की संभावना है। यह चुनाव परिणाम केंद्र की भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के खिलाफ कांग्रेस के लिए मनोबल बढ़ाने वाला है क्योंकि केंद्र सरकार के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और कांग्रेस उन्हें समर्थन दे रही है। आंदोलन करने वाले अधिकतर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं।

कांग्रेस की नजर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत पर भी है जो अगले साल के शुरूआत में होने वाला है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि प्रदेश की जनता ने भाजपा, अकाली दल और आप की नकारात्मक राजनीति को खारिज कर दिया है। जाखड़ ने संवादददाताओं से कहा, ”हमने विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ा । इस जीत से हमारे कार्यकर्ताओं को और अधिक कठिन मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी।”

मोगा में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला है और ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन महत्वपूर्ण होगा। कांग्रेस मोगा नगर निगम के 50 वार्डों में से 20 में जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। इसके बाद यहां शिरोमणि अकाली दल ने 15 जबकि आम आदमी पार्टी ने चार वार्डों में जीत हासिल की है। भारतीय जनता पार्टी को केवल एक सीट से संतोष करना पड़ा है। यहां दस निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं।

प्रदेश निर्वाचन आयोग ने मोहाली नगर निगम के दो मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान कराने के निर्देश दिये थे। इसलिए पूरे निगम के मतों की गिनती गुरुवार को होगी। प्रदेश के 8 नगर निगमों और 109 नगर परिषदों के लिए कराए गए चुनाव में कुल 9,222 उम्मीदवार मैदान में थे।

प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इन चुनावों के लिये 2,037 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। वहीं, शिअद ने 1,569, भाजपा ने 1,003, आप ने 1,606 और बसपा ने 160 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इन चुनावों के लिए 2,832 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे।कृषि कानूनों के मसले पर पिछले साल शिअद ने भाजपा की अगुवाई वाली राजग से नाता तोड़ लिया था। दोनों दल इस चुनाव में अकेले लड़े थे। स्थानीय निकायों के लिये प्रदेश में 14 फरवरी को मतदान कराया गया था जिसमें 70 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

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