पंजाब— केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने वाला बना पहला राज्य
चंडीगढ़। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को पंजाब सरकार ने मंगलवार को रद्द कर दिया। इसके साथ पंजाब केंद्र के इन कानूनों को रद्द करने वाला देश का पहला राज्य भी बन गया। मंगलवार को पंजाब विधानसभा में कृषि कानूनों और केंद्र के प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल को रद्द करने संबंधी प्रस्ताव सर्वसम्मति के साथ पास कर इन्हें तुरंत खारिज करने और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की सुरक्षा के लिए नया अध्यादेश लाने के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा निरंतर खरीद को सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
इसके बाद सदन को बुधवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया। सदन ने ढाई एकड़ तक की जमीन की कुर्की से किसानों को राहत देने के लिए सीपीसी में संशोधन करने के अलावा तीन खेती संशोधन बिलों को ध्वनिमत से पास कर दिया। यह बिल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा पेश किए गए थे।
विधानसभा के विशेष सत्र में मौजूद भाजपा के दो विधायकों को छोड़कर बाकी सभी विधायकों ने प्रस्ताव और विधेयकों के समर्थन में सर्वसम्मति से वोट दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सदन को बताया कि राष्ट्रपति के पास खेती कानूनों संबंधी पंजाब के किसानों की चिंताएं जाहिर करने और किसानों की सुरक्षा के लिए दखल देने के लिए उनसे समय मांगा गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सदन से पास प्रस्ताव को राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को सौंपने राजभवन पहुंचे।
सदन में यह किया गया प्रस्ताव
सभी विधायकों का धन्यवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे किसानों में सकारात्मक संदेश जाएगा। उन्होंने किसानों को पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया और साथ ही प्रण लिया कि वह किसी भी कीमत पर पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल को खराब नहीं होने देंगे।
कैप्टन ने किसान यूनियनों को कोयला, यूरिया और अनाज की ढुलाई के लिए रेल यातायात की इजाजत देने की फिर से अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार को रेल रोकने के कारण पहले ही 40 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है।
उन्होंने कहा कि कृषि सेक्टर की तरह राज्य का उद्योग और कारोबारी सेक्टर भी उतना ही महत्वपूर्ण है। किसानों की लड़ाई पंजाब के विरुद्ध नहीं बल्कि दिल्ली के विरुद्ध है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि किसान संगठन उनकी अपील को सकारात्मक स्वीकृति देंगी।
एमएसपी पर राज्य सरकार नहीं खरीद सकती फसलें : कैप्टन
सदन में विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए विरोधी पक्ष के नेता और आप विधायक हरपाल सिंह चीमा ने यह सुझाव रखा कि अगर केंद्र सरकार एमएसपी पर किसानों की फसल नहीं खरीदती तो राज्य सरकार को एमएसपी पर फसल खरीदना चाहिए।
इस पर मुख्यमंत्री ने आप नेता से पूछा कि क्या वह ऐसे कदम से राज्य सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव से वाकिफ हैं? कैप्टन ने कहा कि अकेले गेहूं की फसल खरीदने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी, जबकि धान खरीदने के लिए अलग से पैसा चाहिए। पंजाब का इतना बड़ा बजट नहीं है। उन्होंने आप नेता के सुझाव को अनुचित बताते हुए कहा कि यदि इस तरह उपज की खरीद भी की जाती है तो राज्य उपज कहां बेचेगा।
‘केंद्रीय कानूनों के खिलाफ जारी रहेगी कानूनी जंग’
पंजाब सरकार के संशोधन विधेयकों के भविष्य के बारे में अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में कैप्टन ने कहा कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि विधेयक राज्यपाल के पास जाएंगे, जो उन्हें मंजूर या नामंजूर कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति के पास जाने की जरूरत होगी।
वह भी इनको मंजूर या नामंजूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ‘पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट्स एक्ट’ के मामले की तरह ही राज्य सरकार केंद्रीय कानूनों के विरुद्ध अपनी जंग को कानूनी तौर पर लड़ना जारी रखेगी, जिसके लिए वकीलों और विशेषज्ञों की एक टीम तैयार है।