विविध रंगों से रंगी जिंदगी——याज्ञवल्क्य
कभी किया करती दिलजोई, कभी सताया करती है।
शतरूपा है, जाने कितने रूप दिखाया करती है।
खट्टी—मिट्ठी, यारी—कुट्टी, चलती रहती धींगामस्ती
विविध रंगों से रंगी जिंदगी, मुझे रिझाया करती है।
—याज्ञवल्क्य
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