रायसेन: वाहन फायनेंस में एक और बडा फर्जीवाडा…
Raisen Finance Fraud: 73 लोगों को फायनेंस कर 70 लाख रुपए की हेराफेरी: फर्जी दस्तावेजों से हो गया फायनेंस
रायसेन। रायसेन जिले में वाहनों के नाम पर फर्जी फायनेंस को लेकर ‘शुभ चौपाल’ कई समाचार प्रकाशित कर चुका है। अब जिले के दीवानगंज स्थित एक टीव्हीएस कंपनी के शोरूम के नाम पर भोपाल की एसके फायनेंस कंपनी द्वारा 73 लोगों के नाम पर 70 लाख रुपए के भुगतान का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिन 73 लोगों को फायनेंस किया गया है, उनमें से 2 लोग तो कई साल पहले दुनिया से जा चुके हैं।यह भुगतान एक्सिस बैंक की भोपाल स्थित बकानिया शाखा के खाते में किया गया है।
दरअसल, वर्ष 2023 में हुई लाखों की हेराफेरी तब उजागर हुई, जब कंपनी के लोग दीवानगंज के प्रेमनारायण सेन से फायनेंस की रिकवरी करने पहुंचे। कंपनी ने शोरूम संचालक से बेंची गई गाड़ियां के रजिस्ट्रेशन नंबर मांगे। शोरुम संचालक शिवम रघुवंशी के अनुसार शोरूम के नाम पर जिस खाते में कंपनी ने 70 लाख का भुगतान किया है वह उसका खाता है ही नहीं।
एसके बैंक से यह राशि बकानिया के एक्सिस बैंक के खाता नंबर 921020048003227 में ट्रांसफर हुई है। शोरूम संचालक को मार्च 2024 में इस बात की जानकारी तब लगी जब कंपनी ने बेंची गई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी मांगी। भुगतान पाने और भुगतान करने वाली दोनों पार्टियां भोपाल की होने से पुलिस ने मामले की शिकायत भोपाल में करने की बात कही है। जिन 73 लोगों के नाम फर्जी लोन किया गया था, उनके लोन की किश्तें जमा नहीं हुई, तब फायनेंस कंपनी को होश आया और शोरूम संचालक व फायनेंस लेने वाले लोगों की खोज शुरू हुई।
फर्जी दस्तावेजों से हुआ फायनेंस
दीवानगंज के प्रेमनारायण सेन का नाम भी इन 73 लोगों में शामिल है, लेकिन प्रेमनारायण ने बताया कि उसने एसके फायनेंस से कोई गाड़ी फायनेंस नहीं कराई। फायनेंस के लिए एजेंट को दस्तावेज जरूर दिए थे, लेकिन उसने मना कर दिया, तब दूसरी कंपनी से फायनेंस कराया। जिसकी वह नियमित किश्त भी जमा कर रहा है। एसके फायनेंस के पास प्रेमनारायण का जो वोटर आइडी कार्ड मिला, उसके साथ छेड़छाड़ की गई है, उसका सीरियल नंबर बदला गया है, साथ ही दस्तावेज के साथ किसी दूसरे व्यक्ति का फोटो लगाया गया है। प्रेमनारायण ने इसकी शिकायत भोपाल के एमपी नगर थाने में की है। संभावना है कि इसी तरह अन्य लोगों के भी फर्जी दस्तावेज बनाकर फायनेंस किया गया है। फायनेंस की सूची वाले 73 लोगों में से ज्यादातर के फोन नंबर या तो बंद बता रहे हैं या किसी दूसरे व्यक्ति को लगते हैं।
यह है फायनेंस की प्रक्रिया
गाड़ियों के फायनेंस की प्रक्रिया में जब कोई ग्राहक गाड़ी फायनेंस कराना चाहता है, तो सबसे पहले फायनेंस कंपनी का एजेंट उसके दस्तावेजों की फिजिकल जांच से संतुष्ट होने पर एजेंट दस्तावेंजों को कंपनी के आनलाइन सिस्टम पर भेजता है, जिसे लॉगिन करना कहते हैं। एजेंट की जांच के बाद अब फाइनेंस कंपनी के ऑफिस की टीम दस्तावेजों की जांच करती है व कस्टमर की सिविल जांचती है। इस दूसरे चरण की जांच के बाद सभी कुछ ठीक लगता है, और कंपनी इस बात से संतुष्ट हो जाती है कि सारे दस्तावेज सही हैं और कस्टमर की सिविल उसे लोन देने लायक है, तब अगले चरण में कस्टमर से फोन पर संपर्क किया जाता है, जिसे फोन वेरिफिकेशन कहा जाता है। इस तीसरे चरण के बाद फायनेंस कंपनी कस्टमर और उसके घर का किसी अन्य कंपनी से फिजिकल वेरीफिकेशन कराती है, जिसे एफआई कहा जाता है। इस प्रक्रिया में वेरीफिकेशन करने वाला व्यक्ति कस्टमर के घर का फोटो, कस्टमर के साथ स्वयं का फोटो व दो पड़ौसियों के फोन नंबर की जानकारी फायनेंस कंपनी को देता है। इस चार से पांच चरण की वेरीफिकेशन प्रक्रिया के बाद फायनेंस करने वाली कंपनी शोरूम को गाड़ी देने का अप्रूवल देती है। कस्टमर को गाड़ी देते समय भी फायनेंस कंपनी का एजेंट फोटो खींचता है। इसी पूरी प्रक्रिया में संभव ही नहीं है कि कोई फर्जी दस्तावेज और फर्जी व्यक्ति के नाम से गाड़ी फायनेंस हो गई और कंपनी को पता भी नहीं चला।