नवरात्रि विशेष:जामगढ़ में विंध्याचल पर्वत पर बिराजीं हैं माँ वाराही, शेर भरता है हाजरी
आदिकाल से ही शक्ति का उपासक है रायसेन जिला
—प्रांजल याज्ञवल्क्य
(बरेली कार्यालय)
बरेली (रायसेन)।रायसेन जिला जहाँ अपनी ऐतिहासिक विरासतों के लिए विश्व विख्यात है, वहीं आदिकाल से ही शक्ति का उपासक भी रहा है। रायसेन जिले में माँ भगवती भवानी जगदंबा के कई प्राचीन ऐतिहासिक स्थल आज भी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए विख्यात हैं।ऐसे जिले के बरेली तहसील मुख्यालय के गांव जामगढ़ के पास विंध्याचल की तलहटी में प्राकृतिक सौंदर्य से पूर्ण स्थित मां वाराही के प्राचीन धाम में नवरात्र पर्व के चलते रायसेन जिले के अलावा भोपाल आदि जिलों के भक्त भी मां वाराही की बिशेष पूजा के लिए परिवार सहित आ रहे है. यहां माता वाराही की पूजा बिना पंडा और पुजारी के भक्त अपनी आस्था के अनुसार परिवार के साथ करते हैं. बरेली, उदयपुरा, सिलवानी और बाड़ी के साथ कई स्थानों के भक्त भी मां के दरबार में समय समय पर हाजरी भर रहे हैं, तथा भक्त यहाँ निरन्तर माता जी के दर्शन करने और शाम को दीपक रखने आतें हैं।
अनूठा है वाराही माता धाम, मिट जाता है भेदभाव
कई बर्षो से विंध्याचल पर्वत पर मां वाराही के प्राकृतिक धाम में साधना कर रहे संत रामसेवक दास त्यागी महाराज ने बताया कि मां वाराही के धाम में आज भी विशेष पर्वों पर एक बुजुर्ग शेर हाजरी भरने आता है. उन्होंने बताया कि कभी कभी तो संध्याकाल के समय ही शेर दरबार में हाजरी भरने आ जाता है। महाराज जी ने बताया कि यह शेर आता है माँ के दर्शन कर वापस जंगल में चला जाता है। गांव के बरिष्ठ पटेल पंडित शिवनारायण शर्मा ने बताया कि मां की कृपा से सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कभी कभी मां के दरबार के पास शेर की दहाड़ सुनाई देती है. उन्होंने कहा कि साल में एक बार परिवार सहित वाराही माता की पूजा करना सौभाग्य की बात है. मां के इस पावन धाम में सब कुछ मिल जाता है. उन्होंने मां वाराही के इस चमत्कारी धाम के बारे में बताया कि यहां आने वाले भक्त की झोली मां जरूर भरतीं हैं . मां के इस दरबार में सभी मनोकामना पूर्ण होती है. मां के इस पावन धाम में जाति-पा़ंति का भेदभाव भी मिट जाता है. यहाँ पूजा के लिए किसी पंडा और पुजारी की जरूरत नही होती. भक्त स्वयं मां की पूजा करते हैं. पंडित जगदीश शर्मा भी कहते हैं कि माँ वाराही धाम की महिमा ही निराली है. माँ के इस पावन धाम में अदभुत आनंद का अनुभव होता है। पटेल रामकुमार शर्मा ने बताया कि माँ वाराही की पूजा पीढ़ियों से कर रहें हैं। माँ वाराही भक्तों की हर मनोकामना सहजता से पूरी करतीं हैं। यहाँ माँ अत्यंत सहजता से भक्तों को सुलभ हैं। बरेली के बरिष्ठ व्यवसायी सिमरैया हार्डवेयर के मुकेश सिमरैया ने बताया कि विंध्याचल पर्वत पर विराजमान मैया वाराही का दरबार अपने आप में स्वयं सिद्ध है। माँ के इस दिव्य धाम में कुछ मांगने की जरूरत नहीं होती, मैया स्वयं बिना मांगे ही भक्तों की झोली भर देतीं हैं। उमेद लोधी कहते हैं कि माँ वाराही का दरबार वास्तव में अदभुत है। यहाँ पूजा करने में आनंद आता है।