अब स्थिति को और बिगड़ने ना दे सरकार

चंडीगढ़। संत बाबा राम सिंह के निधन पर शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल ने दुख व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संत बाबा राम सिंह का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। करनाल के रहने वाले संत बाबा राम सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन वाली जगह पर खुद को गोली मार ली।

अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, ‘संत बाबा राम सिंह जी नानकसर सिंगड़ा वाले ने खुद को सिंघु बॉर्डर पर किसान धरना और किसानों की बदहाली को देखते हुए गोली मार ली। इस खबर को सुनकर बहुत आहत हूं। संत जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि स्थिति को बिगड़ने ना दें और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करें।’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, ‘करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि। कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है। जिद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी कानून वापस लो।’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस घटना को लेकर ट्वीट किया है। केजरीवाल ने लिखा, ‘संत बाबा राम सिंह जी की आत्महत्या की खबर बेहद पीड़ादाई है। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं। हमारा किसान अपना हक ही तो मांग रहा है, सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए और तीनों काले कानून वापस लेने चाहिए।’

संत बाबा रामसिंह का डेरा करनाल जिले में निसंग के पास सिंगड़ा गांव में है। वह सिंगड़ा वाले बाबा जी के नाम से दुनियाभर में विख्यात थे। हरियाणा पंजाब और विश्व भर में संत बाबा राम सिंह को सिंगड़ा वाले संत के नाम से ही जाना जाता था। वे सिंगड़ा वाले डेरे के अलावा विश्वभर प्रवचन करने के लिए जाते थे। वह सिखों की नानकसर संप्रदाय से जुड़े हुए थे। नानकसर संप्रदाय में संत बाबा राम सिंह का बहुत ऊंचा स्थान माना जाता है। काफी दिनों से संत बाबा राम सिंह किसान समस्याओं को लेकर व किसान आंदोलन को लेकर दुखी थे। अकाली दल हरियाणा के प्रदेश प्रवक्ता कंवलजीत सिंह अजराना ने बताया कि गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान निसंग के पास सिंगड़ा गांव के डेरे में दर्शनों के लिए रखा जाएगा। इसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंच सकते हैं।

संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारने से पहले एक पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने क्या कहा है, उसका हिंदी अनुवाद यह है।

किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए
सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है
सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है
जो कि जुल्म है
जो जुल्म करता है वह पापी है
जुल्म सहना भी पाप है
किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है
किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है
किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है
यह जुल्म के खिलाफ आवाज है
यह किसानों के हक के लिए आवाज है
वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह

 

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