चंबल बना मिलावट का केंद्र
पांच राज्यों तक फैला सफेद जहर का काला कारोबार
मुरैना। कभी चंबल की पहचान बीहड़ों से थी। अब यह क्षेत्र मिलावट का केंद्र बनकर उभरा है। यहां नकली दुग्ध उत्पाद बनाने के नए तरीके सामने आ रहे हैं। शहर से लेकर गांव की गलियों में चलने वाला सफेद जहर का यह कारोबार मप्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र से लेकर गुजरात के कई शहरों तक फैला है। यही वजह रही कि कांग्रेस सरकार में एसटीएफ ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में कार्रवाई मुरैना से ही शुरू की थी। सरकार बदली, लॉकडाउन लगा तो माफिया ने मिलावट के नये तरीके अपना लिए हैं, जिन्हें अधिकारी भी पहली नजर में साबित नहीं कर पा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार मुरैना में फूड सेफ्टी विभाग ने हाल ही में जेबरखेड़ा गांव में एक घर में छापा मारा, यहां अधिकारी यह देख अचरज में पड़ गए कि पनीर बनने के निचोड़ से जो पानी निकलता है उससे दूध बनाया जा रहा था। एक रुपये लीटर पानी खरीदकर केमिकल, पाम आयल, लिक्विड डिटर्जेंट व माल्टो डेक्सट्रिन पाउडर मिलाकर बने दूध को 35 रुपये लीटर में बेचा जाता था। यह तो एक मात्र उदाहरण है। जिले में यूरिया, कास्टिक सोडा, हाइड्रोजन परऑक्साइड, क्लोरोफार्म, ग्लूकोज, लिक्विड डिटर्जेंट, आरएम केमिकल, स्किम्ड मिल्क पाउडर, माल्टो डेक्सट्रिन पाउडर जैसे कई केमिकल को पानी, सपरेटा दूध और रिफाइंड या पाम ऑयल में फेंटकर ऐसा दूध बना देते हैं कि कोई स्वाद, रंग या गाढ़ापन देखकर उसे पहचान ही नहीं सकता। अनुमान है कि मिलावटी मावा-पनीर का सालाना कारोबार 75 से 80 करोड़ रुपये का है।
और भी भी कई विधि
मिलावट के माफिया सपरेटा के दूध में वनस्पति, कमानी आयल, पाम आयल के अलावा आलू मिलाकर मावा तैयार कर देते हैं तो केमिकल से बने दूध में वनस्पति, सोयाटीन पॉवडर मिलाकर केमिकल के जरिए पनीर तैयार कर देते हैं। पाम आयल, डालडा में केमिकल मिलाकर उसे दानेदार बनाते हैं फिर एथेंस (सेंट) डालकर देसी घी बना देते हैं। हल्के पीले केमिकल को मिलाकर इसी घी को गाय का बताकर बाजार में खपाया जाता है। आसपास के जिलों भिंड, श्योपुर, शिवपुरी और ग्वालियर में भी सैकड़ों कारीगर 25 से 35 हजार रुपये के वेतन पर यह कारोबार कर रहे हैं। सिंथेटिक दूध बनाने के कई तरीके मिलावटियों के पास हैं। वैसे दूध 6 घंटे में खराब हो जाता है, पर हाइड्रोजन परऑक्साइड डालकर उसे 2 दिन तक सही रख लेते हैं। पहले ग्लूकोज इस्तेमाल करते थे वह जांच में पकड़ा जाने लगा तो अब सार्विटोल से दूध बनाने लगे हैं।